Move to Jagran APP

पर्यावरण संरक्षण से तलाशी रोजगार की राह

बेवर और कुरावली ब्लाक की महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण से रोजगार की राह तलाशी है। उड़ीसा और असोम से बांस मंगाकर ट्री गार्ड बनाकर रसोई को सहारा दे रहीं हैं। एक ट्री गार्ड की बिक्री से 40 रुपये की आमदनी करने वाली एक महिला घर से बचे वक्त में आठ से 15 ट्री गार्ड तैयार कर लेती हैं। लोहे से काफी सस्ते बांस के बने ट्री गार्ड ग्राम पंचायतों ने मनरेगा की धनराशि से खरीदे हैं। हरे रंग के ये ट्री गार्ड खूबसूरत भी दिखते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 06:00 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण से तलाशी रोजगार की राह
पर्यावरण संरक्षण से तलाशी रोजगार की राह

श्रवण शर्मा, मैनपुरी:

loksabha election banner

बेवर और कुरावली ब्लाक की महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण से रोजगार की राह तलाशी है। उड़ीसा और असोम से बांस मंगाकर ट्री गार्ड बनाकर रसोई को सहारा दे रहीं हैं। एक ट्री गार्ड की बिक्री से 40 रुपये की आमदनी करने वाली एक महिला घर से बचे वक्त में आठ से 15 ट्री गार्ड तैयार कर लेती हैं। लोहे से काफी सस्ते बांस के बने ट्री गार्ड ग्राम पंचायतों ने मनरेगा की धनराशि से खरीदे हैं। हरे रंग के ये ट्री गार्ड खूबसूरत भी दिखते हैं।

-

ऐसे शुरू हुआ काम

तत्कालीन सीडीओ ईशा प्रिया की पहल पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाओं से बांस के ट्री गार्ड बनाने पर चितन हुआ तो बेवर के मानहरी का एकता महिला स्वयं सहायता समूह और कुरावली का राधा-कृष्ण महिला स्वयं सहायता समूह आगे आया। दोनों समूह ने मिलकर बांस के ट्री गार्ड का काम एक साल पहले बगिया में शुरू किया। यहां से आता है कच्चा माल

ट्री गार्ड बनाने के लिए समूह बांस का इंतजाम उड़ीसा और असोम से करते हैं। एनआरएलएम के अफसरों ने इसके लिए सहयोग किया। अब यह समूह ट्रक भरकर माल मंगाता है। ट्री गार्ड को चारों ओर से रोकने के लिए लगाई जाने वाली लकड़ी की फंटी स्थानीय लकड़ी टाल से और कील बाजार से खरीदी जाती है। ये आती है लागत

एक ट्री गार्ड बनाने में करीब तीन सौ रुपये का बांस लगता है, जबकि 20 रुपये की कील और 40 रुपये की फंटी लगती है। हर रंग से इसे रंगने पर 80 रुपये खर्च होते हैं। ग्राम पंचायतों ने की खरीद

बांस से बनाए गए आकर्षक ट्री गार्डों को जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों ने मनरेगा की राशि से खरीदा है। लोहे के ट्री गार्ड जहां खराब हो जाते हैं, जबकि बांस से बने ट्री गार्ड कई साल इस्तेमाल हो सकते हैं। महिलाओं की बात-

घर से बचे वक्त में एक महिला एक दिन में आठ से दस ट्री गार्ड बना लेती हैं। सारा काम महिलाएं ही करती हैं। लकड़ी की फंटी मिलने में दिक्कत से काम रुक जाता है। इसके लिए टाल वालों से पहले ही आर्डर देने लगे हैं। - रेखा शाक्य, अध्यक्ष, एकता महिला समूह। एक ट्री गार्ड आसपास की पंचायत में 450 रुपये में बेचा, जबकि दूर की ग्राम पंचायत में इसे पहुंचाने के लिए भाड़े के लिए अलग से राशि ली गई। इस बार समूहों ने मिलकर अब तक 30 हजार रुपये से अधिक ऐसे गार्ड बेचे हैं। काम से अब अच्छी आमदनी हो रही है।

-राशि, राधा-कृष्ण समूह। एक महिला चार से पांच घंटे में बांस के कई ट्री गार्ड बना लेती हैं। एक गार्ड की बिक्री से करीब 40 रुपये की आय होती है। इस काम को महिलाएं कर रही हैं। बांस के ट्री गार्ड हर गांव में पौधों की सुरक्षा को लगाए गए हैं। यह लोहे से सस्ते हैं।

-पीसी राम, स्वत: रोजगार उपायुक्त।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.