विधानसभा में तलब होंगे कैंसर रेडियोथैरेपी यूनिट के अभिलेख
शासन के आदेश के बाद अस्पताल प्रशासन में रही खलबली दिन भर जुटाए गए दस्तावेज आज शासन करेगा समीक्षा सीएमएस रखेंगे अपना पक्ष केंद्र सरकार को भी दी जाएगी सूचना।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। 12 साल से धूल फांक रही कैंसर रेडियोथैरेपी यूनिट के संचालन की कवायद तेज हो गई। स्वास्थ्य मंत्रालय की गंभीरता के बाद विधानसभा में यूनिट से संबंधित अब तक के सभी दस्तावेजों के साथ अस्पताल प्रशासन को तलब किया गया है। शासन के आदेश को लेकर दिनभर अस्पताल प्रशासन में खलबली मची रही। यूनिट को लेकर अब शासन सीधे समीक्षा कर संचालन पर फैसला करेगा। रिकॉर्ड के साथ अपना पक्ष रखने के लिए सीएमएस को भी बुलाया गया है।
जिला चिकित्सालय परिसर में 2006 से बनी कैंसर यूनिट के संचालन की कवायद तेज हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संज्ञान लिए जाने और पूर्व में विधानसभा में सवाल उठाए जाने के बाद शासन ने विधानसभा में यूनिट से जुडे़ सभी अभिलेखों को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को अभिलेखों के साथ अस्पताल प्रशासन को विधानसभा सचिवालय पहुंचना है। शासन के अचानक आए आदेश के बाद सोमवार को दिन भर अस्पताल में हड़बड़ी दिखी। 2004 से लेकर अब तक शासन द्वारा भेजे गए एक-एक पत्र को एकत्र करने के लिए अधिकारियों द्वारा माथापच्ची की जाती रही। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके सागर का कहना है कि शासन द्वारा अब तक के सभी अभिलेख मांगे गए हैं। वजह क्या है यह तो पता नहीं लेकिन समीक्षा होनी है। उम्मीद है कि जल्द ही यूनिट को लेकर कोई फैसला हो सकता है। मंगलवार को शासन के समक्ष सभी अभिलेखों के साथ वे अपना पक्ष भी रखेंगे। एक नजर में यूनिट की जानकारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2004 में जिले का सर्वे करा यहां कैंसर रोगियों की पुष्टि की थी। वर्ष 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने पहल की। 10 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2008 में यूनिट तैयार हुई। सत्ता परिवर्तन मे काम लटक गया। 2013 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूनिट शुरू कराने के निर्देश दिए। कार्यदायी संस्था सीमेंस और सैफई मेडिकल कॉलेज की टीम ने पहुंचकर यूनिट की हकीकत देखी। तब से लगातार यूनिट का संचालन अटका हआ है।