सर्वर में फंसा सात हजार उपभोक्ताओं का राशन
इंटरनेट कनेक्टिविटी बन रही रोड़ा गरीबों को नहीं मिल पा रहा राशन।
केस: एक
रामप्रसाद निवासी फर्दपुर नेत्र दिव्यांग हैं, इनका गुजारा राशन से ही चलता है। पिछले महीने राशन लेने पहुंचे तो नेट कनेक्टविटी न होने की कह कर लौटा दिया गया। कई बार चक्कर लगाए, लेकिन हर बार यही मुश्किल। डीएसओ कार्यालय जाकर शिकायत की, लेकिन कोई हल नहीं निकला। ऐसे में बाजार से राशन खरीदा तो पूरा बजट गड़बड़ा गया। केस: दो
नगला मूले निवासी गंगा सिंह यादव गरीबी रेखा के नीचे आते हैं। वह तीन बार राशन डीलर के पास अपना राशन कार्ड लेकर गए, लेकिन तीनों बार मायूस ही लौटे। उन्हें राशन नहीं मिल पाया। मजबूरन उन्होंने मंहगे दामों में बाजार से राशन खरीदा। इस बार वह राशन मिलने की उम्मीद लगाए हैं। मैनपुरी, जागरण संवाददाता। पहले कालाबाजारी गरीबों का राशन लूट रही थी। इसे रोकने के लिए कंप्यूटरीकरण किया गया, तो इंटरनेट कनेक्टिविटी रोड़ा अटका रही है। कोटेदारों को राशन बांटने के लिए दी गईं प्वॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनें कनेक्टिविटी न होने से चल नहीं पा रहीं हैं और कार्डधारक दिन भर लाइन लगाने के बाद वापस जा रहे हैं। हर माह जिले के करीब सात हजार उपभोक्ताओं को राशन नहीं मिल पा रहा है।
राशन वितरण व्यवस्था को डिजिटल बनाने की योजना शुरू हुई थी। कार्डों के डिजिटलाइजेशन में दो साल गुजर गए। इसके बाद पीओएस मशीनों के वितरण में समय लगा। जिले के सभी कोटेदारों को पीओएस मशीन तो दी गई, लेकिन इंटरनेट कनेक्टविटी न मिलने और सेंट्रल सर्वर ओवरलोड होने से राशन वितरण नहीं हो पा रहा है। दोपहर तक कनेक्टविटी न मिलने के चलते अधिकांश ग्रामीण बिना राशन लिए लौट जाते हैं। दोपहर बाद घंटे-दो-घंटे के लिए कनेक्टिविटी मिलती भी है तो चंद ग्रामीण ही राशन ले पाते हैं। हाल यह है कि करीब सात हजार उपभोक्ता कनेक्टिविटी का दंश झेल रहे। उंगलियों के निशान मिटने से भी परेशानी
बहुत से ऐसे भी उपभोक्ता हैं, जिनकी उंगलियों के निशान मिट चुके हैं। ऐसे में जब वह बायोमीट्रिक मशीन पर उंगलियां रखते हैं तो वह रीड ही नहीं कर पाती। राशन डीलर ऐसे लोगों को लौटा रहे हैं। हालांकि नियम है कि जिन लोगों के अंगूठे मैच नहीं करते हैं उन्हें 20 से 25 तरीख में मैन्युअल वितरण प्रणाली से राशन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। परंतु ज्यादातर डीलर इसका पालन ही नहीं कर रहे।
नहीं पहुंच रहे पर्यवेक्षणीय अधिकारी
त्रिस्तरीय सत्यापन व्यवस्था के अंतर्गत राशन वितरण पर्यवेक्षणीय अधिकारियों की मौजूदगी में होना चाहिए। अधिकांश दुकानों पर तो अधिकारी पहुंचते ही नहीं। कोटेदार उनके घर जाकर ही रजिस्टर पर हस्ताक्षर करा लाते हैं। जो पहुंचते भी हैं, उनके सामने कनेक्टविटी न आने से वितरण नहीं हो पाता। यह बोले जिम्मेदार
जिला पूर्ति अधिकारी यूआर खान ने बताया कि कनेक्टविटी से ज्यादा बड़ी समस्या सेंट्रल सर्वर की ओवरलोडिग है। आमतौर पर कोटेदार इसे कनेक्टविटी की समस्या ही मानते हैं। दोपहर बाहर लोड कम होने पर सर्वर चलता है, तो वितरण हो जाता है। उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।