Move to Jagran APP

भाई की कलाई पर बांधा प्यार, लिया रक्षा का वचन

मैनपुरी जासं। रक्षाबंधन पर्व पर बहनों ने भाई की कलाई पर प्यार के प्रतीक राखी बांधी और रक्षा का वचन लिया। उत्साह से लबरेज भाइयों ने बहनों को संकल्प के साथ उपहार देकर खुश किया। पर्व पर भद्रा भी उत्साह के आगे नतमस्तक दिखी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 10:34 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 06:05 AM (IST)
भाई की कलाई पर बांधा प्यार, लिया रक्षा का वचन
भाई की कलाई पर बांधा प्यार, लिया रक्षा का वचन

जासं, मैनपुरी: रक्षाबंधन पर्व पर बहनों ने भाई की कलाई पर प्यार के प्रतीक राखी बांधी और रक्षा का वचन लिया। उत्साह से लबरेज भाइयों ने बहनों को संकल्प के साथ उपहार देकर खुश किया। पर्व पर भद्रा भी उत्साह के आगे नतमस्तक दिखी।

loksabha election banner

श्रावण पूर्णिमा सोमवार को रक्षाबंधन था। सुबह से ही हर घर में पर्व को मनाने की तैयारियां होने लगी थी। श्रावणी पूजन के बाद बहनों ने भाई को तिलक किया और राखियां बांधी। भाइयों ने भी बहनों को रक्षा का संकल्प देते हुए उपहार दिए। पर्व को लेकर हर घर में उत्साह और उमंग का माहौल दिखा।

संक्रमण पर भारी रही आस्था

कोरोना संक्रमण की वजह से त्योहार पर कोई फर्क नहीं दिखाई दिया। भाइयों को राखी बांधने के लिए तमाम बहनें शुक्रवार को ही आ गई थी तो कुछ रविवार और सोमवार को भी मायके पहुंच गई। कुछ तो सोमवार को अपने पति और स्वजनों के साथ राखी बांधने मायके आईं। विवाहित बहनों ने विधि विधान से पूजा कर भाई को राखी बांधी।

पर्व पर दिखा उत्साह : इस बार रक्षाबंधन पर भले ही कोरोना संक्रमण का साया रहा हो, लेकिन बहन और भाई के इस पर्व पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। दोनों ने एक दूसरे और स्व्जनों के साथ मिलकर जोरदारी से पर्व को मनाया।

रक्षाबंधन पर देसी राखियों का बोलबाला: सालों बाद रक्षाबंधन देसी राखी के नाम रहा। चाइना से चल रही तनातनी के बाद बाजार से चीनी राखियां गायब थी, ऐसे में स्वदेशी राखियां जमकर बिकी।

सस्ती भी रही राखियां

चाइना के माल का दुकानदारों द्वारा स्वत: ही बहिष्कार कर देने के बाद राखी बाजार पर स्वदेशी माल का कब्जा हो गया। ऐसे में पहली बार राखियां भी बीते साल के मुकाबले सस्ती बिकीं। शहर में दो से लेकर तीन सौ रुपये कीमत वाली राखियों की भरमार रही।

लाखों का हुआ कारोबार

इस रक्षाबंधन पर स्वदेशी राखियों का बोलबाला रहा तो बाजार भी खूब चमका। चाइना का माल नहीं होने की वजह से इस बार सौ फीसद स्वदेशी राखियां ही मिलीं। अकेले शहर में ही पांच लाख रुपए की राखियां बिकने का अनुमान है, जबकि समूचे शहर में 12 लाख रुपये से ज्यादा की राखी बिक्री होने की बात बताई जा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.