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सीखचों में सूनी रही कलाई, 72 घंटे को राखियां लॉक

मैनपुरी जासं। 70 सालों से चली आ रही प्रेम और विश्वास की अटूट परंपरा पर भी कोरोना के वायरस ने ग्रहण लगा दिया। यह पहली बार ही हुआ है जब जेल में भाइयों की कलाइयां बहनों के रक्षा सूत्र से सूनी रह गईं। राखियां जेल की चाहरदीवारी तक पहुंचीं तो जरूर लेकिन संक्रमण के डर से उन्हें सीखचों में बंद भाइयों तक न पहुंचाकर 72 घंटों के लिए कमरे में बंद कर रख दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 10:32 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 06:05 AM (IST)
सीखचों में सूनी रही कलाई, 72 घंटे को राखियां लॉक
सीखचों में सूनी रही कलाई, 72 घंटे को राखियां लॉक

जासं, मैनपुरी: 70 सालों से चली आ रही प्रेम और विश्वास की अटूट परंपरा पर भी कोरोना के वायरस ने ग्रहण लगा दिया। यह पहली बार ही हुआ है जब जेल में भाइयों की कलाइयां बहनों के रक्षा सूत्र से सूनी रह गईं। राखियां जेल की चाहरदीवारी तक पहुंचीं तो जरूर, लेकिन संक्रमण के डर से उन्हें सीखचों में बंद भाइयों तक न पहुंचाकर 72 घंटों के लिए कमरे में बंद कर रख दिया गया।

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रक्षाबंधन पर जिला जेल में हर साल बड़ी संख्या में बहन अपने भाइयों को राखी बांधने आती हैं। भाई-बहन के प्रेम के पर्व पर जेल प्रशासन भी हस्तक्षेप नहीं करता था। सुरक्षा नियमों का पालन कर बहनों को कारागार के अंदर भेजकर त्योहार मनाया जाता था। 70 सालों से यही परंपरा लगातार चली आ रही थी। लेकिन, अबकी बार यह परंपरा कोरोना वायरस के भय की वजह से टूट गई। सोमवार को बहनों को कारागार में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली। भाइयों की रक्षा के लिए लाई गईं राखियां एक लिफाफे में बंद कराई गईं। उन पर कारागार में बंद भाई और लाने वाली बहन का नाम लिखने के बाद कैंपस के ही एक कमरे में 72 घंटों के लिए सुरक्षित रखवा दिया गया। निर्धारित समय पूरा होते ही इन राखियों को भाइयों तक पहुंचाया जाएगा।

सैनिटाइज होंगे लिफाफे

72 घंटे पूरे होने के बाद राखियां सीधे भाइयों तक नहीं पहुंचेंगी। इन लिफाफों को पहले सैनिटाइज किया जाएगा, उसके बाद जेलकर्मियो की देखरेख में राखियां निकालकर बंदी भाइयों को दी जाएंगी।

महिला बंदियों ने ही बांधी राखियां

कारागार में बंद महिला बंदियों द्वारा जेल में ही राखियां बनाई गईं। इनमें से कुछ बंदियों के हाथों पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए राखियां बंधवाई गईं।

फोन पर जाना दिल का हाल

भले ही कोविड प्रोटोकॉल के तहत शारीरिक मुलाकात बंद हो, लेकिन जेल प्रशासन ने दिल के जज्बातों को पहुंचाने में मदद की। बंदियों की पीपीओ फोन के माध्यम से बंदी के परिजनों से बात कराई।

इस समय कोरोना वायरस फैला हुआ है। हमें जेल के बंदियों की सुरक्षा भी देखनी है और भावनाओं का भी ख्याल रखना है। पहली बार मुलाकात नहीं कराई गई है। राखियां लेकर रखवाई गई हैं। नियम के मुताबिक तीन दिन बाद ये राखियां बंदियों तक पहुंचा दी जाएंगी। हरिओम शर्मा, जेल अधीक्षक।


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