फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वाले रैकेट का भंडाफोड़
नकली प्रमाणपत्र मोहरें लैपटॉप प्रिटर व अन्य सामग्री बरामद दो जालसाज पकड़े अन्य की तलाश में पुलिस कर रही छापेमारी।
बरनाहल, संवादसूत्र। क्षेत्र में फर्जी शैक्षिक अंकपत्र व अलग-अलग प्रकार के प्रमाणपत्र बनाने का रैकेट सक्रिय था और पुलिस इसकी भनक भी नहीं थी। रविवार को मामला खुला तो क्षेत्र के लोग हैरान रह गए। पुलिस ने दो जालसाजों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। उनके साथियों की तलाश की जा रही है। मौके से नकली प्रमाणपत्र व आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई है।
थाना बरनाहल क्षेत्र के गांव इकहरा निवासी ऋषि पुत्र श्रीकिशन ने चार साल पहले गांव के पास सड़क किनारे जनसेवा केंद्र शुरू किया था। कुछ दिन जनसेवा केंद्र पर काम करता रहा। बाद में केंद्र का बोर्ड हटा दिया, लेकिन यहां पर कंप्यूटर लगाकर लोगों के अलग-अलग प्रकार के प्रमाणपत्र बनाने का काम जारी रखा। ऋषि के पास संदिग्ध किस्म के लोगों का काफी आना-जाना था। वह देर रात तक दुकान का दरवाजा बंद कर अंदर बना रहता था, इसलिए लोगों को उसकी गतिविधियों पर संदेह होने लगा था।
शनिवार देर रात सूचना के बाद पुलिस ने दुकान पर छापामारी की तो अंदर गड़बड़झाला होता मिला। तमाम फर्जी बने व अधबने अंकपत्र, प्रमाणपत्र, वाहनों की आरसी, फिटनेस प्रमाणपत्र, अधिकारियों की मोहरें, लैपटॉप, प्रिटर और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई। पुलिस ने ऋषि व उसके साथी बृजेंद्र निवासी ककर्रा थाना बरनाहल को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस पूछताछ में दोनों ने अहम जानकारियां दी हैं। सूत्रों की माने तो दोनों ने पूरे रैकेट के बारे में पुलिस को बताया है। लेकिन, पुलिस अपने पत्ते खोलने के लिए तैयार नहीं है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर आरोपितों को जेल भेज दिया है। एसओ बरनाहल जेडी सिंह ने बताया कि मामले में गहराई से जांच चल रही है। पकड़े गए आरोपितों के साथियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वाहन चोरों से जुड़े हो सकते हैं तार: वाहनों की आरसी और फिटनेस बरामद होने के बाद पकड़े गए दोनों आरोपितों के तार वाहन चोर गिरोह से जुड़े होने के कयास लगाए जा रहे हैं। बरामद आरसी में एक पर स्थानीय युवक का पता अंकित है। पुलिस ने गोपनीय तरीके से संबंधित युवक के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। रविवार होने के कारण आरटीओ कार्यालय बंद था, इसलिए अन्य अभिलेखों को सत्यापित नहीं किया जा सका। बदल गई थी आर्थिक स्थिति: ग्रामीणों के अनुसार ऋषि के पास न सिर्फ मैनपुरी बल्कि अन्य जिलों के लोग भी आते थे। ऋषि इन लोगों से हमेशा एकांत में बात करता था। ग्रामीणों के अनुसार ऋषि के पास फीरोजाबाद, आगरा, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज व अन्य जिलों के लोग भी मिलने आते हैं। इसी के चलते ऋषि संदेह के घेरे में आने लगा था। उसकी आर्थिक स्थिति भी अचानक काफी अच्छी हो गई थी। कई की लग चुकी है नौकरी: सूत्रों की माने तो ऋषि व उसके साथियों द्वारा बनाए गए फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्रों से कई युवक अलग-अलग शहरों में प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं। कुछ की सरकारी नौकरी लग चुकी है। ऋषि द्वारा फेल युवकों को उसी रोल नंबर पर उत्तीर्ण की अंकतालिका उपलब्ध कराता था। कुछ ओवरएज हो चुके युवकों के अंकपत्रों को नए सिरे से जन्मतिथि बदली गई है। पुलिस ऐसे लोगों का पता लगा रही है।