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दुष्कर्म में दोषी और पीड़िता की मां-बहन को सजा

छह साल पहले 14 वर्षीय बालिका के साथ अभियुक्त ने किया था दुष्कर्म पीड़िता की मां-बहन बनाती थी अभियुक्त के साथ संबंध बनाने का दबाव

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 06:59 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 06:59 AM (IST)
दुष्कर्म में दोषी और पीड़िता की मां-बहन को सजा
दुष्कर्म में दोषी और पीड़िता की मां-बहन को सजा

जासं, मैनपुरी : छह साल पहले किशोरी के साथ दुष्कर्म करने के मामले में दोषी को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं आरोपित का समर्थन और पीड़िता को आरोपित के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए प्रेरित करने की दोषी पीड़िता की मां और बहन को 14-14 साल के कारावास की सजा सुनाई गई है। दुष्कर्म के आरोपित पर 63 हजार रुपया और अन्य दोनों आरोपितों पर 14-14 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। यह निर्णय विशेष न्यायालय पाक्सो एक्ट कोर्ट की न्यायाधीश पूनम ने सुनाया है। अर्थदंड की राशि में से 63 हजार रुपया पीड़िता को दिया जाएगा।

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शहर की एक मुहल्ले की निवासी 14 वर्षीय अनुसूचित जाति की किशोरी ने पांच जून 2015 को कोतवाली पहुंच कर पुलिस को बताया कि हिदपुरम कालोनी निवासी रिजवान का उसके घर में काफी आना-जाना है। रिजवान उन पर बुरी नजर रखता है। उस पर गलत काम करने का दबाव बनाता है। अश्लील हरकतें करता है। पूरे परिवार पर धौस जमाता है। किशोरी द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।

जांच में पता चला कि किशोरी की मां और बड़ी बहन भी उस पर आरोपित के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाती है। पीड़िता ने अपने बयान में बताया कि आरोपित ने उसके साथ दुष्कर्म किया है। जांच के आधार पर पुलिस ने आरोपित रिजवान और पीड़िता की मां व बहन के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी। आरोपितों ने अदालत में खुद को निर्दोष बताते हुए सुनवाई की मांग की। सुनवाई के दौरान पीड़ित किशोरी व अन्य गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज कराए गए। पीड़ित किशोरी ने पूर्व में दिए गए अपने बयान की पुष्टि की। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे एडीजीसी अनूप यादव के तर्काें व साक्ष्यों के आधार पर तीनों आरोपितों को सजा सुनाई है। दुष्कर्म के आरोपित को नहीं मिली जमानत

घटना के आरोपित को जेल भेज दिया गया था। इस दौरान पीड़ित किशोरी की मां और बहन को तो जमानत पर रिहा कर दिया गया। लेकिन आरोपित रिजवान का जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया था। उसे उच्च न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिल सकी थी। सुनवाई के दौरान उसे जेल में रहना पड़ा।


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