आलू में रोग,'झुलस'गए किसान
मैनपुरी: आलू किसानों की उम्मीदें इस बार फिर खेत में ही दफन होती दिख रही हैं। दो वर्षों
मैनपुरी: आलू किसानों की उम्मीदें इस बार फिर खेत में ही दफन होती दिख रही हैं। दो वर्षों से सड़कों पर आलू फेंक रहे किसानों के माथे पर इस बार फिर ¨चता की लकीरें उभर आई हैं। पहले कीमतों ने रुलाया, अब मौसम ने आलू में झुलसा रोग लगाया, तो किसान उत्पादन को लेकर परेशान हो गए हैं।
बीते वर्ष किसानों को जहां आलू फेंकना पड़ा, इस वर्ष भी कम कीमतों के कारण किसान परेशान थे। आलू की फसल में सर्दी के कारण लगे झुलसा रोग ने किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। गांव सुल्तानगंज निवासी टीटू दुबे ने बीते वर्ष 40 बीघा आलू की बोवाई की थी। उन्हें उम्मीद थी कि आलू में मुनाफा होगा। लेकिन उनका ये अनुमान बिल्कुल गलत साबित हुआ। आलू बेचकर जब कोल्ड का किराया भी नहीं निकला, तो किसानों को ये आलू कोल्ड में ही छोड़ना पड़ा। टीटू बताते हैं कि न केवल आलू की लागत डूब गई, बल्कि बारदाना और कोल्डस्टोर तक आलू पहुंचाने का किराया भी जेब से चला गया। एक बार फिर उन्होंने 20 बीघा में आलू की बोवाई इस उम्मीद के साथ की, अगर कीमत ठीक रही तो पिछले वर्ष का घाटा बराबर हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
पहले तो नए आलू के रेट भी बाजार में कम मिले तो वहीं सर्दी अधिक होने से आलू में झुलसा लग गया। इससे आलू की बेल जल गई। बेल खराब हो जाने से आलू की बढ़वार रुक गई और घाटा उठाना पड़ा। ये किसी एक किसान का हाल नहीं है बल्कि जिले के 20 फीसद किसान इससे प्रभावित हुए हैं। जिले में इस वर्ष 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसानों ने आलू की बोवाई की थी। लेकिन इस बार सर्दी अधिक पड़ने से 20 फीसद आलू में झुलसा लग गया। इससे आलू की पैदावार प्रभावित होना तय है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार कम से 25 फीसद तक पैदावार कम होगी। इसके अलावा जिन किसानों ने आलू की लेट बोवाई की थी और अब तक उसमें आलू पूरा नहीं हो पाया है, ऐसे किसानों को 50 फीसद तक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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ये होता है झुलसा
जब सर्दी के कारण तापमान काफी नीचे चला जाता है तो आलू की बेल के अंदर मौजूद पानी जमने लगता है। पानी जमने पर उसका आयतन बढ़ जाता है और पौधे का तना जगह-जगह से फटने लगता है। इसके कारण आलू की बेल सूख जाती है।
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ये करें उपाय
कृषि वैज्ञानिक डॉ. विकास रंजन चौधरी ने बताया सबसे पहले तो आलू को झुलसा रोग से बचाने के लिए समय-समय पर हल्की ¨सचाई की जानी चाहिए। इसके अलावा देसी नुस्खे के रूप में राख का छिड़काव भी किया जा सकता है। अगर इसके बाद पत्ते सिकुड़े हुए दिखाई देते हैं तो स्ट्रेप्टोसाइक्लिन दवा की 12 ग्राम मात्रा लेकर उसका 600 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर में छिड़काव किया जा सकता है। इससे भी अगर रोकथाम नहीं होती है तो मेंकोजेब दवा की दो किलोग्राम मात्रा का 600 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर में छिड़काव करना चाहिए।
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किसानों की बात
आलू में अगर किसान को ऐसे ही घाटा होता रहा तो किसान आलू की खेती करना ही छोड़ देंगे। इसलिए सरकार को किसानों के लिए कुछ करना चाहिए।
तेजपाल, कुबेरपुर।
पिछले वर्ष किसानों को मुनाफा दिलाने के उद्देश्य से सरकारी क्रय केंद्रों पर आलू की खरीद की गई थी। लेकिन मानकों के चलते यहां भी आलू की खरीद नहीं हो सकी।
वासुदेव, कुबेरपुर।
इस वर्ष सरकार को आलू किसानों की समस्या को देखते हुए आलू की खरीद करनी चाहिए। जिससे किसानों को कम से कम लागत तो मिल सके।
¨टकू लोधी, बनकिया।
जिन जिलों में आलू का उत्पादन अधिक होता है, सरकार को वहां आलू से संबंधित किसी उद्योग की स्थापना करनी चाहिए। नहीं तो आलू और किसान का हाल ऐसा ही रहेगा।
अवधेश, बिछवां।