दूषित जल विषैली कर रहा धरती की कोख
ईशन की प्रदूषित जलधारा से विषैली हो रही खेतों की मिट्टी गत्ता फैक्ट्री के केमिकल युक्त पानी के साथ गंदे नाले का रुख भी नदी में।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। ऋषियों की तपोभूमि को पखारने वाली ईशन की जलधारा जो कभी जलचरों की प्यास बुझाती थी, अब जहरीली हो चुकी है। गंदे नालों के साथ मिलों का रासायनिक पानी छोड़े जाने से नदी के जल में हानिकारक तत्व घुल रहे हैं। जानकारी के अभाव में किसान इसी गंदे पानी से नदी किनारे खेतों की ¨सचाई कर रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस पानी से खेतों में हो रही पैदावार को सेहत के लिहाज से हानिकारक बताते हैं।
ईशन नदी जिले के कई गांवों से होकर गुजरती है। नदी के जल में शहर से निकलने वाले गंदे नालों के साथ धान और गत्ता मिलों का रासायनिक पानी भी छोड़ा जा रहा है। इसका सीधा असर नदी के पानी की शुद्धता पर पड़ रहा है। जेल रोड पर पुल से नीचे पानी की धारा में तैरते हुए झागों को आसानी से देखा जा सकता है। नदी के बहते पानी में उठती सड़ांध दूर तक लोगों को महसूस होती है। इसी गंदे पानी में पंप सेट लगाकर किसान फसलों की ¨सचाई करते हैं।
जिला अस्पताल के वरिष्ठ जनरल फिजीशियन डॉ. आरके ¨सह का कहना है कि दूषित पानी से उगाई गई फसल सीधे सेहत को नुकसान पहुंचाती है। लगातार ऐसी सब्जियों और अनाज को खाने से पेट संबंधी बीमारियां फैलती हैं। सबसे बुरा असर किडनी और आंतों पर पड़ता है। अनदेखी करने पर आंतों के कैंसर और पथरी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हानिकारक केमिकल हैं खतरा: जिला कृषि अधिकारी गगनदीप ¨सह का कहना है कि नाइट्रोजन, फास्फोरस तो मिट्टी के लिए अच्छे होते हैं, लेकिन केमिकल युक्त पानी खतरनाक है। ¨सचाई से पानी मिट्टी में जाता है जिसे पौधे अवशोषित करते हैं। अवशोषण के कारण हानिकारक तत्वों की मात्रा पौधों में भी पहुंचती है। जिनका सेवन करने पर वही हानिकारक तत्व शरीर में पहुंच जाते हैं। इस संबंध में शासन को पत्र भेजा जा रहा है। किसानों को दी जाती है सलाह: कृषि वैज्ञानिक विकास रंजन चौधरी का कहना है कि कृषि मेलों में अक्सर किसानों को इस बात की सलाह दी जाती है कि वे खेतों की ¨सचाई के लिए दूषित पानी का प्रयोग न करें।