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बंदरों के खौफ से छत पर जाना छोड़ गए लोग

बचने के लिए कई लोगों ने मकानों में जाल लगवाया है। सुबह से देर शाम तक छतों पर बंदर कब्जा कर लेते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 05:18 AM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 05:18 AM (IST)
बंदरों के खौफ से छत पर जाना छोड़ गए लोग
बंदरों के खौफ से छत पर जाना छोड़ गए लोग

जासं, मैनपुरी: केस-एक

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शहर के बंशी गोहरा के निवासी रामवीर सिंह बीते सप्ताह छत पर आए बंदरों से सूख रहे कपड़ों को बचाने के लिए ऊपर आए। डंडा लेकर सामने बैठे बंदरों को हटाने की कोशिश में पीछे से एक बंदर ने उन्हें कंधे पर काट लिया। स्वजन आए तो बंदरों को भगाया जा सका।

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केस-दो-

शहर के मुहल्ला सोतियाना कैलाश चंद मिश्रा छत पर बैठे थे। इसी दौरान आए बंदर ने उन पर हमला कर दिया। खुद को बचाते, उससे पहले बंदर ने उनके हाथ में काट लिया। अस्पताल में इंजेक्शन नहीं मिले तो बाजार से लगवाए। नगर में बंदरों के भय से लोगों ने मकानों के सामने और छतों पर लोहे के जाल लगवा रखे हैं। उत्पाती बंदर हमला न कर दें, इसलिए लोग घरों में जेल की तरह रहने को मजबूर हैं। बंदरों की बढ़ी हुई संख्या और हमले से लोग परेशान हैं। गलियों से सामान लेकर निकलना भी मुश्किल हो गया है। बंदर कब हमला कर घायल कर दें कुछ पता नहीं। छतों पर महिलाएं कपड़े आदि सुखाने जाती हैं तो भय बना रहता है। सुबह के समय स्कूल जाते बच्चों के साथ अभिभावकों को स्वयं जाना पड़ता है। बंदरों के बढ़ते हमलों के खतरे के मद्देनजर लोगों ने घरों के सामने और छतों पर लोहे के जाल बिछा रखे हैं।

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इन बस्तियों में अधिक है संख्या-

वैसे तो समूचे शहर में बंदरों का उत्पात है, लेकिन सबसे ज्यादा बंदरों का उत्पात मंडी और उसके आसपास के मुहल्लों में है। बंशी गोहरा, छपट्टी, नारायन नगर, नगला मूले, राजीव नगर और राजा का बाग के अलावा पंजाबी कालोनी में भी बंदरों की संख्या अधिक है। सुबह के समय बंदर झुंड बनाकर गलियों में घूमते नजर आते हैं। उनके हमले से बचने के लिए बच्चों को छोड़ने जाना पड़ता है, डर लगता है।

कल्पना मिश्रा

रोज सुबह जिला सहकारी बैंक से बंदरों का बड़ा झुंड कोतवाली की ओर निकलता है। इनके कारण राहगीर रुक जाते हैं। काफी देर तक ऐसा होता है।

- नेहा अवस्थी छतों पर बंदरों का समूह आकर बैठता है। पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले यह बंदर छतों पर कपड़े नहीं सुखाने देते है, जिससे परेशानी होती है।

- मीना चौहान बंदरों की वजह से छत पर जाना मुश्किल है। कई बार बंदर बालकनी से अंदर घर में घुस आते थे। इसके लिए लोहे का जाल लगवाना पड़ा है।

रजनी तिवारी ----------------

बंदर पकड़ने के लिए विभाग की कोई योजना नहीं होती है। निकाय की मांग और उपलब्ध कराए गए बजट के बाद विभाग इनको पकड़वाता है। यदि नगर पालिका ऐसा करे तो सहयोग कर सकते हैं।

अखिलेश पांडेय, प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी बंदरों की समस्या पूरे शहर में है। इस संबंध में जल्द ही एक प्रस्ताव तैयार कराया जाएगा। वन विभाग से भी सहयोग लिया जाएगा।

मनोरमा, नगर पालिका अध्यक्ष


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