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कल्होर पछां के तालाब नहीं बन सके सियासत का शोर

गांव कल्होर पंछा के 18 तालाबों का समाप्त कर वजूद दिया गया। अब 37 का रकबा कम हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 04:06 AM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 04:06 AM (IST)
कल्होर पछां के तालाब नहीं बन सके सियासत का शोर
कल्होर पछां के तालाब नहीं बन सके सियासत का शोर

जासं, मैनपुरी: पंचायत चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। समर्थकों के साथ दावेदार मैदान में उतर चुके हैं। मतदाताओं को पक्ष में करने की कोशिश चल रही हैं। घिरोर तहसील के गांव कल्होर पंछा में तालाबों का प्रकरण सियासत का शोर नहीं बन सका। यहां के 18 तालाबों का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया, जबकि 37 का रकबा कम कर दिया गया।

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जमींदारी समाप्त होने के बाद घिरोर तहसील के गांव कल्होर पछां में 1965 में चकबंदी प्रक्रिया शुरू हुई। पांच साल बाद चकबंदी फाइनल हुई तो विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने ग्रामीणों से मिलकर 18 तालाब हमेशा के लिए मिटा दिए। जबकि 37 तालाबों का रकबा ही कम कर डाला। इस खेल पर उस समय किसी ने गौर नहीं किया। चकबंदी के दौरान समाप्त किए गए तालाबों के खसरा पर ग्रामीण काबिज हो गए और खेती शुरू कर दी।

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तालाब बचाने को जंग-

गांव के तालाबों का वजूद मिटाने और रकबा कम किए जाने से गांव के दारोगा पद से सेवानिवृत घनश्याम सिंह आहत हैं। इसके लिए उन्होंने लड़ाई भी छेड़ रखी हैं, लेकिन तहसील में रिकार्ड नहीं होने से उनका मिशन पूरा नहीं हो रहा है।

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नहीं हट सका है कब्जा-

तालाबों को बचाने में जुटे गांव के ही इशाद अली और भारत सिंह तो राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर खफा दिखते हैं। उनका कहना है कि अफसरों के आदेश के सालों बाद भी तहसील प्रशासन तालाबों पर काबिज ग्रामीणों को नहीं हटा सका है।

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हो रही है खेती-

तालाबों की जमीन पर सालों से खेती हो रही है। गांव के राजवीर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह कहते हैं कि प्रशासन तालाब बचाने की लड़ाई में कतई सहयोगी भूमिका नहीं निभा रहा है। जमींदारी समाप्त होने के बाद गांव के 18 तालाब मिटा दिए गए, जबकि 37 तालाबों का आकार कम कर दिया है। इस खेल में चालीस बीघा से ज्यादा जमीन के नंबर बदलकर ग्रामीणों को सौंप दिया।

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तालाब नहीं बनते मुद्दा-

शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि पंचायत चुनाव हर पांच साल बाद आते हैं, लेकिन कोई प्रत्याशी तालाब बचाने के नाम पर वोट नहीं मांगता। हर साल इसी उम्मीद से वह वोट करते हैं कि तालाब इस बार निकल आएंगे।


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