नंबरों पर नहीं बेटों पर था विश्वास
मैनपुरी : शहर के आवास विकास निवासी विवेक कुमार और विकास भले ही पढ़ने में औसत थे। लेि
मैनपुरी : शहर के आवास विकास निवासी विवेक कुमार और विकास भले ही पढ़ने में औसत थे। लेकिन उनके माता-पिता ने कभी उनके नंबरों से उनकी क्षमताओं का आकलन नहीं किया। वे हमेशा से जानते थे कि एक न एक दिन उनके बेट काबिल जरूर बनेंगे। हुआ भी यही आज एक बेटे बुनियादी शिक्षा देने का काम कर रहा है, तो दूसरा डिप्टी जेलर है। शहर के आवास विकास निवासी विवेक और विकास के पिता फर्रुखाबाद में समाज कल्याण विभाग में तैनात थे। पिछले साल वे तो नहीं रहे, लेकिन उनके बेटे आज भी उनका नाम रोशन कर रहे हैं। मां कमला कांति बताती हैं कि उनके दोनों ही बेटे पढ़ने में सामान्य थे। परीक्षा में भी हमेशा औसत नंबर ही आए, लेकिन उन्होंने कभी नंबरों को देखकर ¨चता नहीं की। क्योंकि वे जानती थी कि उनके बेटे काबिल हैँ। वे बताती हैं कि विकास और विवेक दोनों ने ही हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा राजकीय इंटर कॉलेज फतेहगढ़ से की थी। विवेक के हाईस्कूल में 62 फीसद और विकास के 61 फीसद अंक आए थे। वहीं इंटरमीडिएट में विकास ने 58 फीसद और विवेक ने केवल 48 फीसद अंक प्राप्त किए थे। लेकिन इसकी उन्होंने कभी ¨चता नहीं की। इसके बाद दोनों ही बेटों ने स्नातक करने के बाद बीएड की। जिसके बाद विकास 2009 में और विवेक 2015 में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक हो गए। लेकिन विवेक ने यहां भी हार नहीं मानी और फिर से प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए। विवेक की मेहनत रंग लाई और पिछले महीने ही विवेक का चयन डिप्टी जेलर के पद पर हो गया है। कमलाकांति बताती हैं कि किसी भी माता-पिता को अपने बच्चों की काबिलियत के लिए नंबरों को नहीं देखना चाहिए। बस जरूरत है तो उनका सहयोग कर उन्हें प्रोत्साहित करने की।