सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन के खिलाफ सपाइयों का अविश्वास प्रस्ताव
समाजवादी पार्टी में बड़ी कलह नजर आ रही है। सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन और जिला पंचायत अध्यक्ष संध्या यादव के खिलाफ सपाइयों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।
मैनपुरी (जेएनएन)। यूपी विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद सैफई के समाजवादी परिवार में मची कलह फिलहाल थमने वाली नहीं है। समाजवादी पार्टी में बड़ी कलह नजर आ रही है। सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन और जिला पंचायत अध्यक्ष संध्या यादव के खिलाफ सपाइयों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। 32 में 23 सदस्य प्रस्ताव के समर्थन में हैं। गौरतलब है कि संध्या यादव सपा से अध्यक्ष भी हैं। इससे कुनबे की खाई गहराने का अंदेशा है। प्रस्ताव से सबसे बड़ा धर्मसंकट सांसद धर्मेंद्र यादव के लिए है। आखिर वह किधर कदम रखें।
संध्या यादव सैफई परिवार की पहली बेटी हैं, जिन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। ऐसे में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास होता है, तो सैफई परिवार के ऊपर आंच तो आएगी ही। परंतु इस बात से परे प्रस्ताव पेश करने में एक पक्ष के सदस्य आगे-आगे रहे। वहीं, शिवपाल समर्थक दूरी बनाए रहे। अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वालों की अगुआई खुद सदर विधायक राजकुमार यादव ने की, जो सपा महासचिव रामगोपाल यादव के करीबी हैं। रामगोपाल के भांजे बिल्लू यादव की पत्नी मीनाक्षी भी प्रस्ताव पेश करने वालों में शामिल रहीं। संध्या सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन हैं, इसलिए उनका रुख क्या होगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालों में कई सदस्य धर्मेंद्र यादव के भी बेहद करीबी हैं। ऐसे में पूरे मामले में उनकी भूमिका पर सबकी नजरें टिकी हैं। परंतु उनके नजदीकी सूत्र बताते हैं कि वह ऐसे संकट में फंसे हुए हैं, जिसमें कोई राह निकालना आसान नहीं है। यदि वह बहन का समर्थन करते हैं, तो यह शिवपाल से भी नजदीकी दर्शाएगा। इससे पार्टी और परिवार के अंदर रार और बढ़ेगी। यदि वह प्रस्ताव के समर्थन में आते हैं, तो बहन से रिश्तों में खटास आना तय है।
वैसे अध्यक्ष संध्या यादव के पति अनुजेश प्रताप पार्टी में शिवपाल खेमे के माने जाते हैं। यह बात तब और खुलकर सामने आ गई, जब उन्होंने बीते दिनों फीरोजाबाद के जिला पंचायत अध्यक्ष और सांसद तेज प्रताप यादव के रिश्ते के मामा विजय प्रताप के खिलाफ भाजपाइयों के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव पर दस्तखत किए। पार्टी हाईकमान ने तो उन्हें पार्टी से ही निलंबित कर दिया। वैसे यही वह मोड़ था, जहां से दूसरे खेमे को सही मौका मिल गया। उसने संध्या यादव से अध्यक्ष की कुर्सी छीनने का ताना-बाना बुन लिया। इसकी अगुवाई करने का मौका सदर विधायक राजकुमार यादव को मिल गया, जिनका अनुजेश प्रताप से छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव का रुख जानने को काफी कोशिश की गई, लेकिन कॉल रिसीव नहीं की।
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