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महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर नहीं पालिका

आधी आबादी की सुविधा को देखते हुए लाखों रुपये की लागत से शहर के तांगा स्टैंड पर पिक टायलेट का निर्माण तो करा दिया गया लेकिन सुरक्षा को लेकर पालिका प्रशासन गंभीर नहीं है। अराजक तत्वों और हर वक्त टायलेट के आसपास लोगों की भीड़ की वजह से असहज महसूस करने वाली महिलाएं यहां आती ही नहीं। कागजों में तो यहां सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता प्रबंध हैं जबकि हकीकत में महिलाएं यहां आने से बच रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 05:45 AM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 05:45 AM (IST)
महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर नहीं पालिका
महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर नहीं पालिका

जासं, मैनपुरी: आधी आबादी की सुविधा को देखते हुए लाखों रुपये की लागत से शहर के तांगा स्टैंड पर पिक टायलेट का निर्माण तो करा दिया गया, लेकिन सुरक्षा को लेकर पालिका प्रशासन गंभीर नहीं है। अराजक तत्वों और हर वक्त टायलेट के आसपास लोगों की भीड़ की वजह से असहज महसूस करने वाली महिलाएं यहां आती ही नहीं। कागजों में तो यहां सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता प्रबंध हैं जबकि हकीकत में महिलाएं यहां आने से बच रही हैं।

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स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य वित्त आयोग से प्राप्त धनराशि से नगर पालिका प्रशासन द्वारा लाखों रुपये की लागत से तांगा स्टैंड पर पिक टायलेट का निर्माण कराया गया था। आबकारी मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री ने डीएम महेंद्र बहादुर सिंह और पालिकाध्यक्ष मनोरमा की मौजूदगी में नौ जुलाई 2021 को उद्घाटन किया था। उस समय जो बातें कहीं गई थीं, उनमें से कोई सुविधा यहां नहीं हैं। अब स्थिति यह है कि दिनभर में बमुश्किल चार से पांच महिलाएं ही शौचालय का इस्तेमाल करने आती हैं। इसकी मुख्य वजह टायलेट के आसपास अराजक तत्वों का जमावड़ा है। मुख्य द्वार पर रिक्शा वाले अपने वाहनों को खड़ा कर लेते हैं। बाकी का बड़ा हिस्सा फल वालों ने कब्जा लिया है। ये फलों को बेचने के नाम पर अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते है। ये होनी थी व्यवस्था

- टायलेट के बाहर दो सीसीटीवी लगने थे, जिससे अराजक तत्वों के बारे में जानकारी मिलती रहे।

- परिसर के आसपास रिक्शा, हथठेल और बाइक आदि खड़ा करना प्रतिबंधित है। ऐसा करने पर एक हजार रुपये जुर्माने की व्यवस्था है।

- महिलाओं के बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था कराई जानी थी।

- दुधमुहे बच्चों के साथ आने वाली महिलाओं की मदद के लिए पालना कक्ष बनना था।

- नजदीक में खाली पड़ी जगह पर पार्क बनवाना था, जहां महिलाएं बैठकर इंतजार कर सकती थीं। नहीं लग सके सीसीटीवी

पालिका प्रशासन द्वारा यहां एक भी सीसीटीवी नहीं लगवाया है। सामने एक होटल और ढाबा पर लगे कैमरों की मदद से सुरक्षा का दावा किया जा रहा है। पूरे शहर में महिलाओं के लिए नहीं हैं टायलेट

पूरे शहर में अगर पिक टायलेट को छोड़ दिया जाए तो महिलाओं के लिए एक भी टायलेट नहीं है। जबकि, सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक हजारों की संख्या में महिलाएं, छात्राएं और युवतियां काम से शहर में आती हैं। मजबूरी में महिलाओं को अपने परिचितों के घरों के टायलेट का इस्तेमाल करना पड़ता है। धूल फांक रही पैड मशीन और इंसीनेटर

उन दिनों से जूझती महिलाओं की मदद के लिए शासन के निर्देश पर नेपकिन पैड मशीन की खरीद की गई थी। मात्र पांच रुपये का सिक्का डालने पर महिलाओं को जरूरत पर आसानी से पैड मिल जाते हैं। इतना ही नहीं, खराब हो चुके पैड से इंफेक्शन न फैले, इसके लिए इंसीनेटर मशीन भी मंगाई गई थी, लेकिन अभी तक इन्हें इंस्टाल ही नहीं कराया गया है। इसकी जिम्मेदारी अधिशासी अधिकारी और अन्य को दी गई थी। यदि ऐसा है तो यह बड़ी लापरवाही है। पुलिस की मदद से टायलेट के आसपास से हथठेलों को हटवाकर उस जगह को सुरक्षित कराया जाएगा। सभी मशीनें लगवाई जाएंगी।

मनोरमा, पालिकाध्यक्ष।


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