सिर है आपका, सुरक्षा भी आपकी
बड़ी संख्या में युवाओं को नहीं है फिक्र, बिना हेलमेट के चलाते हैं बाइक।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता : जरा सी असावधानी सांसें छीन सकती है। यह जानने के बावजूद लोग सड़क नियमों की अनदेखी करते हैं। हर साल मैनपुरी में सड़क हादसों में दर्जनों मौतें सिर्फ सिर में चोट लगने से हो जाती हैं। फिर भी लोग हेलमेट लगाकर चलने से परहेज करते हैं। कोहरे के मौसम में सावधानी हमें सफर से सुरक्षित अपनों तक पहुंचा सकती है। तमाम अभियान और जिम्मेदारों के सार्थक प्रयासों से हेलमेट को लेकर जागरूकता तो बढ़ी है लेकिन, ज्यादातर युवा अब भी नियमों का मखौल बना बगैर हेलमेट और सीट बेल्ट ही फर्राटा भर रहे हैं। क्यों जरूरी है हेलमेट और सीट बेल्ट का प्रयोग: सुरक्षित सफर के लिए सीट बेल्ट और हेलमेट का प्रयोग बेहद आवश्यक है। सीओ सिटी आरके पांडेय का कहना है कि सड़क हादसों में यदि सिर में चोट लगती है तो उसका असर पूरे सिस्टम पर पड़ता है। हेलमेट अधिकांश आघात को खुद ही झेल जाता है। जिससे सिर और चेहरे के हिस्से सुरक्षित रहते हैं। चार पहिया वाहन में भी सीट बेल्ट ऐसा ही काम करती है। गाड़ी चलाते समय चालक के कमर का निचला हिस्सा स्थिर अवस्था में रहता है और ऊपरी हिस्सा चलायमान होता है। जब भी किसी दूसरे वाहन से टक्कर होती है तो चलायमान हिस्सा सीधे स्टिय¨रग से टकराता है और चालक की मौत हो जाती है। यदि सीट बेल्ट बंधी होती है तो ऊपरी हिस्से को भी स्थिर रखा जा सकता है। ऐसे में हम हादसों के दौरान होने वाले नुकसान को टाल सकते हैं। साथी सवारी के लिए भी जरूरी है हेलमेट: नियम है कि वाहन चालक के साथ पीछे बैठने वाली सवारी को भी हेलमेट पहनना होगा। अक्सर, हादसे के दौरान सबसे ज्यादा चोटिल पीछे बैठने वाली सवारी ही होती है। हेलमेट लगा होने के कारण सिर को सुरक्षित रखा जा सकता है। हेलमेट लें तो आइएसआइ मार्क का रखें ध्यान: हेलमेट पहने के साथ उसकी गुणवत्ता देखना भी जरूरी है। चालकों को चाहिए कि आइएसआइ मार्का हेलमेट ही पहनें। बाजार में मिलने वाले सस्ते हेलमेट वाहन चालकों को चालान से तो बचा लेते हैं, परंतु उनकी सुरक्षा के लिए पूरी तरह कारगर नहीं होते। हादसे के समय यह खुद ही क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। आइएसआइ मार्का हेलमेट में पहनने वाले की सुरक्षा को लेकर मानकों का ध्यान रखा जाता है।