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एक साथ उठी चार अर्थियां, तो रो पड़ी हर आंख

ग्रेटर नोएडा में हुए फ्लैट हादसे में मैनपुरी के उद्दैतपुर अभई परिवार मारा गया था। चार दिन पहले ही गृह प्रवेश हुआ था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 11:45 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 11:45 PM (IST)
एक साथ उठी चार अर्थियां, तो रो पड़ी हर आंख
एक साथ उठी चार अर्थियां, तो रो पड़ी हर आंख

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: ग्रेटर नोएडा हादसे ने उद्दैतपुर अभई के एक ही परिवार के चार लोगों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया। गुरुवार शाम जब चारों शव गांव पहुंचे तो हर आंख नम थी। अपनों को खोने का जो गम परिवार को था, उसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल था। लेकिन जिसने भी हादसे के बारे में सुना वह दौड़ा चला आया। कोई हादसे में मृत शिव के अच्छे व्यवहार को याद कर रो रहा था तो कोई एक साल की मासूम पंखुरी की खिलखिलाहट को याद कर सिसक रहा था। हर ओर बस करुण क्रंदन सुनाई दे रहा था।

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ग्रेटर नोएडा में हादसे में गांव उद्दैतपुर अभई निवासी सुरेंद्र त्रिवेदी के परिवार के चार लोगों को मौत हो गई थी। चार दिन पहले ही उनके बेटे शिव त्रिवेदी ने नए फ्लैट में गृह प्रवेश किया था। पूरे परिवार के साथ शिव ने गृह प्रवेश का कार्यक्रम किया था। लेकिन किसी को नहीं पता था कि उनकी खुशियां चार दिनों में ही मातम में बदल जाएंगी। एक ही परिवार के शिव त्रिवेदी, राजकुमारी त्रिवेदी, प्रियंका त्रिवेदी और पंखुरी त्रिवेदी की मौत के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ था। गुरुवार शाम को जब चारों शव गांव पहुंचे तो दो दिन से रो-रोकर सूख चुकी आंखों से फिर आंसू बहने लगे।

26 वर्षीय शिव चार साल से ग्रेटर नोएडा में नौकरी कर रहा था, लेकिन गांव के हर शख्स से शिव का अलग ही व्यवहार था। जब भी वह गांव आता था तो सबसे हंसकर बातें करता था। आखिरी बार वह 29 जून को पंखुरी के पहले जन्मदिन पर आया था। लेकिन तब वह अगले दिन सुबह ही चला गया, जिससे वह किसी से मिल नहीं सका था। शिव के बाबा रामरतन त्रिवेदी काफी बुजुर्ग हो चले हैं। वे बार-बार शिव के बचपन की याद कर रोए जा रहे थे। चाचा नरेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि वह भी गृह प्रवेश में गए थे। शिव नए घर को लेकर काफी खुश था। उसने प्रत्येक तैयारी खुद की थी। अगले दिन गृह प्रवेश के बाद चाचा, चाची लौट आए थे। जबकि 16 जुलाई को शिव के भाई राम और उनकी चचेरी बहनें माला, गौरी, गोलू व माूल नोएडा से वापस आई थीं। शिव ने मां, भाभी और भतीजी को कुछ दिनों बाद भेजने की बात कहकर रोक लिया था। लेकिन किसे पता था कि अब वे कभी वापस नहीं हो सकेंगे।

एक साल की पंखुरी की किलकारी को याद करके पड़ोसी भी रो रहे थे। पंखुरी को दिन भर घर के लोगों के अलावा आसपास के घर के लोग भी खिलाते थे। वह बड़ी प्यारी बच्ची थी। पूरे मुहल्ले के लोग दिन भर पंखुरी को दिन भर गोद में लिए घूमते रहते थे। शिव के परिवार में अब पिता सुरेंद्र त्रिवेदी और भाई राम त्रिवेदी ही बचे हैं। जिनका रो रोकर बुरा हाल है। वह कभी शिव को याद करते हैं तो कभी पंखुरी को। पिता बस एक ही बात कहते हैं कि मेरा परिवार खत्म हो गया अब मैं जीकर क्या करूंगा।

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गुरुवार को आना था, लौटी लाशें ग्रेटर नोएडा में 14 जुलाई को गृह प्रवेश के बाद परिवार के बाकी लोग तो अगले दिन लौट आए थे। लेकिन शिव की मां राजकुमार, भाभी प्रियंका और भतीजी पंखुरी वहीं रुक गई थी। बि¨ल्डग गिरने से एक घंटे पहले ही मंगलवार रात आठ बजे शिव की भाई राम से बात हुई थी। तब उसने गुरुवार को सभी को वापस भेजने की बात कही थी। लेकिन गुरुवार को उन सभी की लाशें लौटकर आईं।

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22 घंटे तक चलती रहीं पंखुरी की सांसे

परिवार के लोगों ने बताया कि बुधवार शाम को जब पंखुरी को मलबे से बाहर निकाला तो डॉक्टर ने पंखुरी की नब्ज टटोली। डॉक्टर इस बात से हैरान थे कि पंखुरी की मौत लगभग दो घंटे पहले ही हुई थी। उन्होंने बताया कि 22 घंटों तक पंखुरी ¨जदगी और मौत से जंग लड़ती रही। परिवार वालों को इसी बात का दर्द था अगर दो घंटे पहले एक वर्षीय पंखुरी को मलबे से निकाल लिया जाता तो शायद उसकी जान नहीं जाती। बॉक्स

एक पल को लगा शिव ¨जदा है

बुधवार रात को जब शिव को मलबे से बाहर निकाला गया तो एक पल को लगा कि शिव ¨जदा है। क्योंकि उसकी नाक में भरी मिट्टी अचानक हवा के प्रेशर से बाहर आई। इससे परिवार के लोगों को उम्मीद जगी कि शायद शिव जीवित है। जिसके बाद काफी देर तक डॉक्टर शिव का चेकअप करते रहे। उन्होंने बताया कि पेट में हवा भर जाने के कारण नाक से प्रेशर निकला था, शिव अब जीवित नहीं हैं। डॉक्टरों की बात से फिर एक बार परिवार की सारी उम्मीदें टूट गईं। अधिवक्ताओं ने दी मृतकों को श्रद्धांजलि 19.मेन.फोटोनं.16.जेपीजी।

मैनपुरी: हादसे मे मरने वाले को जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने श्रद्धांजलि दी। आत्मा की शांति और परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति देने के लिए प्रार्थना की। घटना पर शोक जताते हुए अधिवक्ताओं ने गुरुवार को कार्य नहीं किया। श्रद्धांजलि देने वालों में अनिल कुमार ¨सह, दिनेश यादव, श्याम ¨सह भदौरिया, महेश ¨सह चौहान, राकेश यादव, सुरेंद्र पांडेय, कौशलेंद्र चौहान, सौरभ पांडेय, राजकुमार चौहान, संजय दुबे, अशोक दीक्षित आदि शामिल रहे।


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