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मजाक, सवा मिनट में देखा एक मरीज

ये जिला अस्पताल है साहब। व्यवस्थाएं भी कमाल हैं। चिकित्सकों की पहले ही भारी कमी है, उस पर सात चिकित्सक अलग-अलग कार्यों से अस्पताल नहीं आए। मात्र तीन चिकित्सकों ने ही 1400 से ज्यादा मरीजों की नब्ज टटोली। एक मरीज के उपचार को मात्र 1.17 मिनट का ही समय ही मिल सका। ज्यादातर मरीजों को तो बिना उपचार के ही वापस लौटना पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 12:01 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 12:01 AM (IST)
मजाक, सवा मिनट में देखा एक मरीज
मजाक, सवा मिनट में देखा एक मरीज

जासं, मैनपुरी : जिला अस्पताल में इलाज के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। हालात ये है कि अस्पताल में पहले से ही चिकित्सकों की कमी है, उस पर भी कई चिकित्सक अलग-अलग वजहो से अस्पताल नहीं आए। ऐसे में अस्पताल में मात्र तीन चिकित्सकों ने ही 1400 से ज्यादा मरीजों की नब्ज टटोली। इस हिसाब से एक मरीज के उपचार को केवल एक मिनट 17 सेकेंड का ही समय मिल सका। ज्यादातर मरीजों को तो बिना उपचार के ही वापस लौटना पड़ा।

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जिला अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। बुधवार को चेस्ट फिजीशियन डॉ. धर्मेंद्र और सर्जन डॉ. गौरव पारिख न्यायिक कार्य के चलते आगरा और डॉ. आरके ¨सह न्यायालय मैनपुरी गए हुए थे। एक मात्र अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार की ड्यूटी देहात क्षेत्र में चल रहे दिव्यांग शिविर में लगाई गई थी। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरांग गुप्ता को कौआटांडा स्थित कैंप में भेजा गया था। मात्र तीन चिकित्सकों डॉ. जेजे राम, डॉ. पीके दुबे और डॉ. गौरव दुबे पर ही पूरे अस्पताल की जिम्मेदारी रही। ऐसे में एक डॉक्टर को छह घंटे में 466 से ज्यादा मरीज देखने पड़े। इस हिसाब से एक मरीज देखने में 1.17 मिनट का समय लगा। भीड़ अधिक होने के चलते डॉक्टर जल्दी-जल्दी मरीजों को निपटाते रहे। विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपस्थिति की वजह से कई मरीजों को परामर्श देकर वापस भेजा गया। ये है मेडिकल की व्यवस्था

व्यवस्था के अनुसार एक मरीज की जांच, परामर्श और उपचार में चिकित्सक को कम से कम तीन मिनट का वक्त देना चाहिए। लेकिन, विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण जिला अस्पताल के चिकित्सकों को रोजाना 250 से 300 मरीजों को उपचार देना पड़ रहा है। इनकी है कमी

जिला अस्पताल में दो बाल रोग विशेषज्ञ, एक फिजीशियन, एक सर्जन, ह्दय रोग विशेषज्ञ, वरिष्ठ परामर्शदाता, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ की लंबे समय से कमी है। प्रयास यही रहा है कि किसी मरीज को परेशानी न हो। इसके लिए प्रशिक्षुओं के साथ नर्सिंग स्टाफ और फार्मेसिस्ट को भी जिम्मेदारी दी गई थी। चिकित्सकों की कमी से उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है।

डॉ. आरके सागर, सीएमएस, जिला अस्पताल, मैनपुरी।


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