सूचना के अधिकार ने बना दिया जनसेवक
संवाद सूत्र, किशनी: जब दिल में समाज सेवा का जुनून हो तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं। किशनी के
संवाद सूत्र, किशनी: जब दिल में समाज सेवा का जुनून हो तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं। किशनी के सतीश कुमार ने समाज सेवा के लिए सूचना के अधिकार को हथियार बनाया है। इसके माध्यम से वे अब तक ढाई हजार आरटीआइ दाखिल कर चुके हैं। उनके कारण फर्जीवाड़ा करने वाले एक दर्जन से अधिक लोगों को जेल भेजा जा चुका है।
सतीश कुमार (53) वैसे तो दुकानों में पान के पत्तों की सप्लाई करते हैं। मन में समाज सेवा की चाहत लिए वे ¨जदगी की भागदौड़ में लगे थे। लेकिन उनके सपनों को धार दी सूचना के अधिकार ने। 2005 में जब सूचना का अधिकार आया, तो उन्होंने इसके बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया। एक वर्ष में इसके बारे में पूरी जानकारी करने के बाद उन्होंने आरटीआइ दाखिल करना शुरू कर दिया। फिर क्या था, सरकारी विभागों में किए जा रहे फर्जीवाड़े खुलते चले गए। वे अब तक ढाई हजार से अधिक आरटीआइ दाखिल कर चुके हैं।
सतीश बताते हैं कि एक बार नगर पंचायत ने सरकारी जमीन को नगर के ही तीन दर्जन लोगों को पट्टे में दे दी थी। जब उन्होंने आरटीआइ से जानकारी की तो, पता चला कि फर्जी तरीके से नगर पंचायत प्रशासन ने पट्टे कर दिए हैं। इतना ही नहीं पट्टे जिस तारीख में दिए गए थे, उस समय तो कई पट्टाधारकों का जन्म ही नहीं हुआ था। इसकी शिकायत उन्होंने तहसीलदार से की। मामले की जांच के बाद सात लोगों को जेल भेजा गया था। एक बार फर्जी स्मार्ट कार्ड बनाने वाले कंपनी का भी भंडाफोड़ कर चुके हैं। सतीश को अगर कहीं भी फर्जीवाड़े की भनक लगती है, तो वे अपने खर्च पर आरटीआइ फाइल कर देते हैं। वह कहते हैं कि सरकार ने भ्रष्टाचार मिटाने का कानून दिया है, इसलिए इसे हथियार बनाकर जंग लड़ रहे हैं।