अधूरे इंतजामों संग रेबीज से जंग की तैयारी
रोजाना दर्जनों हो रहे आवारा आतंक के शिकार सीएचसी और पीएचसी पर नहीं मिलता उपचार
केस एक : कस्बा बेवर निवासी मीनाक्षी (39) घर की छत से सामान लेने गई थीं। यहां पहले से बैठे बंदरों ने अचानक उन पर हमला कर घायल कर दिया।
केस दो: बिछवां निवासी मनोज गुप्ता सोमवार को खेत से लौट रहे थे। अचानक गली में आवारा श्वान ने उनके पैर में काट लिया। इससे वह घायल हो गए।
जासं, मैनपुरी : रोजाना श्वान और बंदरों द्वारा लोगों को अपना शिकार बनाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग अधूरे इंतजामों के बूते इनसे जंग लड़ने की तैयारी में है। असल में सीएचसी और पीएचसी पर पर्याप्त संख्या में एआरवी (एंटी रेबीज वैक्सीन) की नहीं है। ऐसे में घायलों को कई किमी दूर जिला अस्पताल जाना पड़ता है। यहां भी एक दिन में सिर्फ 50 लोगों को ही इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। ऐसे में कई को इलाज भी नहीं मिल पाता। मजबूरी में मेडिकल स्टोर्स से खरीदकर इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं।
यहां है ही नहीं इंजेक्शन: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुरावली पर तो एक भी वाइल उपलब्ध नहीं है। चीफ फार्मेसिस्ट रामवीर सिंह का कहना है कि सप्ताह भर पहले ही वाइल खत्म हुई हैं। सीएचसी औंछा की स्थिति भी यही है। यहां भी कोई इंतजाम नहीं हैं। मरीजों को उपचार के लिए घिरोर भेजना पड़ता है। जबकि सीएचसी करहल में सिर्फ पांच वाइलें ही बची हैं।
सिर्फ दो दिन मिलता उपचार: जिला अस्पताल में सिर्फ मंगलवार और शुक्रवार को दो दिन ही 50-50 मरीजों को एआरवी के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं।
आधा दर्जन पर किया बंदरों ने हमला: सोमवार की दोपहर लगभग एक बजे जिला अस्पताल के साइकिल स्टैंड पर दो दर्जन से ज्यादा बंदरों ने यहां खडे़ लोगों पर हमला कर दिया। लगभग आधा दर्जन लोगों को काटकर और पंजे मारकर घायल कर दिया। कई लोग जान बचाकर भाग खडे़ हुए। लगभग एक घंटे तक दहशत का माहौल रहा।
सभी अस्पतालों में इंतजाम कराए जा रहे हैं। जहां एआरवी खत्म हो गई हैं, वहां उपलब्ध कराई जाएंगी। मरीजों से अपील है कि वे अपने-अपने नजदीकी अस्पतालों में ही उपचार लें। डॉ. एके पांडेय, सीएमओ।