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गली-गली, गांव-गांव में बारूद के ढेर, सुरक्षा के नहीं कोई इंतजाम

शहर में ही छह दर्जन इलाको में अवैध रूप से बन रही आतिशबाजी अवैध भंडारण भी सुरक्षा के नहीं हैं कोई भी इंतजाम।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 10:14 PM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 06:20 AM (IST)
गली-गली, गांव-गांव में बारूद के ढेर, सुरक्षा के नहीं कोई इंतजाम
गली-गली, गांव-गांव में बारूद के ढेर, सुरक्षा के नहीं कोई इंतजाम

मैनपुरी, जागरण संवाददाता। रोशनी और धूम-धड़ाका का त्योहार नजदीक है। आतिशबाजी बनाने के लिए जगह-जगह बारूद के ढेर लग गए हैं। तेज आवाज वाले पटाखे आदि तैयार किए जा रहे हैं। बारूद के अवैध भंडारण से व्यापक खतरे की आशंका बढ़ गई है। पिछले दिनों ही एटा में अवैध आतिशबाजी बनाने के दौरान बड़ा हादसा हो चुका है।

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दीवाली पर जिले में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से आतिशबाजी बनाने और बेचने का कारोबार होता है। सूत्रों के मुताबिक, शहर में किला के पीछे बस्ती में आधा दर्जन से अधिक मकानों में अवैध आतिशबाजी बनाई जा रही है। पटक बम, कुल्हड़ अनार, धूल गोला, चरखी का निर्माण प्रमुखता से किया जा रहा है। पुरानी मैनपुरी की घनी बस्तियों के अलावा मदार दरवाजा, चुंगी रोड, ज्योंती रोड, पावर हाउस के पास, यदुवंश नगर, आगरा रोड के पास महमूद नगर सहित कई इलाकों में भी आतिशबाजी तैयार की जा रही है।

बेवर, कुरावली, किशनी, घिरोर, करहल और भोगांव क्षेत्रों में भी कुछ गांव हैं, जहां सालों से अवैध आतिशबाजी बनाने का काम हो रहा है। पिछले दिनों एटा में हादसे के बाद पुलिस-प्रशासन सक्रिय हुआ था। तब कई जगह आतिशबाजी निर्माण की स्थिति परखी गई थी। परंतु अवैध आतिशबाजी बनाने वालों तक कोई नहीं पहुंच सका। गंधक-पोटाश का होता है प्रयोग

अवैध आतिशबाजी में गंधक-पोटाश का प्रयोग होता है। इनका मिश्रण विस्फोटक बन जाता है। दोनों पदार्थ बाजार में किरानों की दुकानों से आसानी से उपलब्ध हो जाती है। जिले में हो चुके हैं कई हादसे

10 साल पहले कानपुर निवासी युवक राजा ने किला के पास से एक बोरी पटक बम खरीदे थे। कानपुर में बस से उतरने के बाद घर ले जाते समय बम की बोरी सड़क पर गिर जाने से विस्फोट हो गया था। इसमें राजा व उसके साथी की मौत हो गई थी। वहीं सात वर्ष पहले आतिशबाजी भरी डीसीएम में जीटी रोड कुरावली में विस्फोट हो गया था, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी। शहर के अलावा कुरावली, बेवर, घिरोर अन्य स्थानों पर भी विस्फोट में कई जानें जा चुकी हैं।

25 हैं लाइसेंसधारक

जिले में आतिशबाजी बनाने के कुल 25 लाइसेंस नवीनीकृत हालत में हैं। इनमें से भी कुछ लाइसेंसधारी ही आतिशबाजी का नियमित निर्माण कराते हैं। बाकी आतिशबाज शादी-विवाह व अन्य समारोह में आतिशबाजी चलाने का धंधा करते हैं। ये लाइसेंस प्रशासन की नजर में है। इनकी निगरानी भी होती है, लेकिन अवैध रूप से आतिशबाजी बनाने वालों की पुलिस प्रशासन को भनक भी नहीं लगती है। अवैध आतिशबाजी बनाने वालों की जानकारी कराई जा रही है। इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लाइसेंसधारकों के यहां भी सुरक्षा संबंधी इंतजामों का परीक्षण कराया जा रहा है।

पीके उपाध्याय, डीएम


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