अटल की यादों में डूबा मैनपुरी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेई की स्वास्थ्य लाभ के लिए दिनभर दुआओं का दौर चलता रहा। पुराने संस्मरण याद कर पुराने साथियों की आंखें भीग गई।
जागरण संवाददाता, आगरा: राजनीति में ध्रुवतारे की की चमकने वाला अटल व्यक्तित्व गुरुवार की शाम ढलते-ढलते मौत के आगोश में विलीन हो गया। उनकी हालत बिगड़ने की खबर सुनते ही मैनुपरी में उनके प्रशंसकों, भाजपाइयों के चेहरों पर गम की लकीरें दिखने लगी थीं। परंतु उम्मीद थी कि शायद कोई चमत्कार हो जाए, दिन भर लोगों की निगाहे टीवी पर ही चिपकी रहीं। दुआओं के दौर भी चले, लेकिन शाम को ऐसी खबर आई की आंखें भीग गईं और लोग उनकी यादों में डूब गए। तब रोडवेज बस की सामान्य सीट से गए थे आगरा
शहर के पचौरी कंपाउंड निवासी वरिष्ठ भाजपा नेता शिवओंकारनाथ पचौरी की यादों में आज भी स्व. अटल जी की स्मृतियां जीवंत हैं। उनका कहना है कि 1957 के विधानसभा चुनाव के दौरान वे चुनाव प्रचार के लिए मैनपुरी आए थे। यहां प्रचार खत्म होने के बाद उन्हें आगरा के लिए जाना था। तब रोडवेज बस ही बेहतर माध्यम था। आज भी याद है कि उनके लिए रोडवेज की बस में वीआइपी कोटे की सीट रिजर्व कराई गई थी। लेकिन, उन्होंने उस सीट पर बैठने से इनकार कर दिया और सवारियों के बीच ही सामान्य वयक्ति के रूप में आगरा तक गए थे। वह कहते हैं कि चुनाव प्रचार के ही दौरान एक बार देवी रोड स्थित डॉ. आरडी पुरंग (आरएसएस के पूर्व प्रांतीय संघ चालक) के आवास पर अटल जी ने पदाधिकारियों के साथ चुनावी चर्चा की थी। यही कोई रात के 8:30 बजे थे। पदाधिकारियों से वार्ता खत्म होने के बाद उन्होंने कार्यकर्ताओं से परिचय प्राप्त कर उनकी परेशानियों के बारे में भी पूछा था। भाजपा नेता पचौरी बताते हैं कि 1992-93 में जब वे जिला पंचायत अध्यक्ष थे, तब फर्रुखाबाद सांसद दयाराम शाक्य के साथ अटल जी उनके आवास पर आए थे और चुनावी चर्चा की थी।
आचार संहिता समझा डाक बंगले में रुकने से किया था इनकार
वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता प्रभात चतुर्वेदी को आज भी वो वाकया याद है जब अटल जी ने सभी को आचार संहिता का पाठ पढ़ाया था। वह कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान वे चुनाव प्रचार को मैनपुरी आए थे। तब बतौर नगर अध्यक्ष एड. चतुर्वेदी ने उन्हें डाक बंगले में ठहराने के लिए इंतजाम कराए थे। खुद अधिकारी तक उन्हें यहीं ठहरन को कहते रहे, लेकिन उन्होंने यह कहकर साफ इनकार कर दिया था, इन दिनों आदर्श आचार संहिता लागू है। ऐसे में वे सरकारी सुविधा का लाभ नहीं ले सकते हैं। बाद में उन्हें ¨हद रेंस शिकोहाबाद में ठहराया गया था।
आज भी उनके ड्राइंग रूम में लगी है मैनपुरी की बेटी की बनाई पें¨टग
शहर के मुहल्ला भरतवाल निवासी एड. प्रभात चतुर्वेदी कहते हैं कि मैनपुरी में चुनाव प्रसाद के दौरान जब अटल जी आए थे, तब उनकी बेटी शालिनी चतुर्वेदी ने उन्हें अपने हाथों से बनाई हुई भगवान श्रीराम क पें¨टग भेंट की थी। बेटी के हाथ भेंट की गई पें¨टग को अटल जी ने अपने ड्राइंग रूम में लगवाया था। एड. चतुर्वेदी के पुत्र एड. वैभव चतुर्वेदी का कहना है कि आज भी उनकी बहन द्वारा दी गई पें¨टग उनके यहां सुरक्षित रखी है। एक बार मुलाकात के दौरान खुद स्व. अटल जी ने शालिनी की पीठ थपथपाई थी।
क्रिश्चियन मैदान में ही होती थी अटल जी की सभा
वरिष्ठ भाजपा नेता शिवओंकारनाथ पचौरी का कहना है कि स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जब-जब भी मैनपुरी आए थे, तब-तब उन्होंने शहर के क्रिश्चियन मैदान से ही चुनावी हुंकार भरी थी। पांच बड़ी चुनावी सभाओं को यहां किया था। खासियत यह रही कि हर बार वे कार से ही मैनपुरी पहुंचे थे। न तो कभी हैलीकॉप्टर का प्रयोग किया और न ही ज्यादा समर्थकों की भीड़ चाही।
कब कब आए आए थे मैनपुरी
- 1957 में जब स्व. अटल जी बलरामपुर से सांसद थे तब विधानसभा चुनाव के दौरान मैनपुरी में चुनाव प्रचार को आए थे।
- 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार थी। तब वे सांसद रघुनाथ ¨सह वर्मा के साथ चुनाव प्रचार के लिए मैनपुरी आए थे। शहर के क्रिश्चियन मैदान में जनसभा को संबोधित किया था।
- 1992 में चुनाव के दौरान फर्रुखाबाद सांसद दयाराम शाक्य के साथ मैनपुरी पहुंचकर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से वार्ता की थी।
- 1993 के विधानसभा चुनाव में भी जनसभा को संबोधित किया था।
- 1998 में सांसद प्रत्याशी अशोक यादव के समर्थन में क्रिश्चियन मैदान से जन अपील की थी। कठेरिया ने नहीं कराया स्वागत
अटल जी की हालत नाजुक होने की खबर मिलते ही भाजपाइयों ने स्वागत का सिलसिला रोक दिया। यहां आए एससी आयोग के अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया ने पार्टी नेताओं से स्वागत नहीं कराया। वहीं भाजपा की स्थानीय बैठक में भी नेता माल्यार्पण से दूर रहे। हो गया एक युग का अंत
'अटल जी के जैसा व्यक्तित्व दूसरा नहीं हो सकता। वे शब्दों की धार से ही लोगों के दिलों के बीच जगह बनाते रहे। दूसरे देश भी उनकी बातों के कायल हैं। उन्होंने ही ¨हदी को एक आयाम दिया। सार्वजनिक मंचों से ¨हदी भाषा के शब्दों का सधा सा प्रयोग कर लोगों को अपना बना लिया। वे हमेशा हमारे बीच यादों में रहेंगे।'
रामनरेश अग्निहोत्री, विधायक भोगांव।
'उनकी कविताएं ही दिलों को जीत लेती थीं। हर बार चुनावी सभा खत्म होने के बाद वो अपनी एक कविता हमेशा पढ़ते थे कि गीत नया गाता हूं। सरल व्यक्तित्व वाले अटल जी ने आखिरी वक्त तक अपने नाम तो चरितार्थ किया। उनकी मृत्यु एक युग का अंत है।'
आलोक गुप्ता, जिलाध्यक्ष, भाजपा।
'चाहे पाकिस्तान तक बस चलाने की बात रही हो या फिर परमाणु परीक्षण से संबंधित निर्णय, देश सेवा के लिए उन्होंने हमेशा सख्त निर्णय लिए। उनकी कार्यशैली ही रही कि विरोधी दल के नेता भी अटल जी का पूरा सम्मान करते थे। कविताओं में वे हम सबके न सिर्फ जीवित रहेंगे बल्कि हम सभी को प्रेरणा देंगे।'
अशोक चौहान, पूर्व विधायक, भाजपा।
'उनकी कविताएं युवाओं में जोश भरती हैं। वे ऐसे नेता थे जो सिर्फ पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों में ही नहीं, युवाओं के दिलों में भी बसे हैं। उनके निधन से जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। बस, दुख इसी बात का रहेगा कि ईश्वर ने हम लोगों की प्रार्थना स्वीकार नहीं की।'
अमित गुप्ता, नगर अध्यक्ष, भाजपा।