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कारागार में कैदी सीख रहे धर्म का ककहरा

वीरभान ¨सह, मैनपुरी : मैनपुरी की जेल में निरुद्ध कैदी धर्म का ककहरा सीख रहे हैं। धार्मिक पुस्तको

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 May 2018 10:49 PM (IST)Updated: Sat, 19 May 2018 10:49 PM (IST)
कारागार में कैदी सीख रहे धर्म का ककहरा
कारागार में कैदी सीख रहे धर्म का ककहरा

वीरभान ¨सह, मैनपुरी : मैनपुरी की जेल में निरुद्ध कैदी धर्म का ककहरा सीख रहे हैं। धार्मिक पुस्तकों के जरिए कैदियों को सुधारने की जेल प्रशासन की मुहिम अपना रंग भी दिखा रही है। किताबों के जरिए सत्य के संसार से जुड़ने वाले बंदियों की संख्या से अब लाइब्रेरी भी गुलजार होने लगी है।

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जिला कारागार में कुल 1034 कैदी निरुद्ध हैं। बंदियों की सोच बदलकर उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए जेल प्रशासन ने किताबों की दुनिया बसाई है। महीने भर तक बंदियों के बीच रहकर जेल प्रशासन ने पहले बंदियों की धार्मिक सोच को समझा। उसके बाद उनकी सोच के हिसाब से धार्मिक पाठ्य पुस्तकों की व्यवस्था कारागार में ही करा दी। लगभग पांच सैकड़ा धार्मिक पुस्तकों की व्यवस्था कराई गई है। इसके लिए जेल के एक हिस्से में ही सभी सुविधाओं से लैस लाइब्रेरी की व्यवस्था भी कराई गई है। जिस बंदी को जो पुस्तक पढ़नी है, उसे लाइब्रेरी से उपलब्ध करा दी जाती है। बंदियों की शंका समाधान के लिए लाइब्रेरी में एक शिक्षक की तैनाती भी की गई है। शिक्षक बंदियों को भगवत गीता का ज्ञान देने के साथ उन्हें पैगंबर का संदेश भी पढ़कर सुनाते हैं। हो रहा अपराध बोध, कैदी कर रहे तौबा

धीरे-धीरे लाइब्रेरी में पुस्तक प्रेमी बंदियों की संख्या बढ़ रही है। ज्यादातर बंदी धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त करना पसंद कर रहे हैं। कई ऐसे भी जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी तो कई ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ रहे हैं। जेल प्रशासन का कहना है कि बंदियों की सोच में अजीब परिवर्तन हुआ है। कैदी अपने अपराध पर पछता रहे हैं। अब वे जल्द से जल्द अपने घर परिवार के बीच जाकर अपराध की दुनिया से तौबा करने की इच्छा जताते हैं। ये हैं कैदी

कारागार में वर्तमान में 1030 बंदी (953 पुरुष, 54 महिला, 27 बच्चे) हैं। इनमें से तीन मृत्युदंडित हैं। विचाराधीन कैदियों की संख्या 927 (825 पुरुष, 48 महिला, 27 बच्चे) और 104 सिद्धदोष (98 पुरुष, छह महिला) बंदी सजा काट रहे हैं।

अधिकारी कहिन

बंदियों की सोच बदलने के लिए जेल में लाइब्रेरी बनवाई गई है। सभी प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं। एनजीओ और कई समाजसेवियों ने पुस्तकें उपलब्ध कराने में मदद की है। हमारा मुख्य प्रयास कैदियों को अपराध की दुनिया से दूर ले जाकर धर्म और आपसी भाईचारे का विकास करना है।

हरिओम शर्मा, कारागार अधीक्षक, मैनपुरी।


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