जागे देव, गूंज उठी शहनाई, लगता रहा जाम
घर-घर हुई पूजा आज सुबह खिचड़ी का लगेगा भोग बांटा जाएगा प्रसाद शुभ कार्य शुरू शहर और कस्बों में गूंजी बैंडबाजों की धुन
जासं, मैनपुरी: कार्तिक मास की एकादशी को देवताओं के शयन से जाग्रत होने के बाद शुभ काम शुरू हो गए। पहले ही दिन शहर और कस्बों में शहनाई गूंज उठी। बैंडबाजों की धुन से माहौल पुलकित हो उठा। सड़कों पर बैंड, बाजा और बरात होने से शहर में शाम से रात होने तक जाम के हालात बनते रहे। महिलाओं ने घरों में धार्मिक कार्यक्रम किए। अब शनिवार को खिचड़ी का भोग लगेगा।
बुधवार को देवोत्थान एकादशी पर देवताओं को जाग्रत करने के लिए घरों में धार्मिक कार्यक्रम हुए। महिलाओं ने चावल को पीसकर चौक बनाए। देवताओं की छवि उकेर कर गन्ना, शकरकंद, सिघाड़ा और अन्य सामग्री पूजन को रखी गई। देवता की छवि को ढक दिया गया। आरती के बाद पुरुष और महिलाओं ने पूजा की। अब शनिवार को चावल के घोल से बनाई देवताओं की छवि को निहारा जाएगा। इसके बाद खिचड़ी का भोग लगाकर परिवार की खुशियों की कामना की जाएगी।
हुई दो सौ से अधिक शादियां
देवताओं के जाग्रत होने के बाद शहनाई गूंज उठी। शहर और कस्बों के अलावा गांवों में भी शादियां हुई। शहर के अधिकांश मैरिज होम बुधवार को फुल नजर आए। एक अनुमान के मुताबिक, करीब दो सौ शादियां हुई हैं। अब आगामी तिथियों में होने वाली शादियों के लिए शहर की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ नजर आई। कपड़ा, ज्वैलरी और सौंदर्य सामान की दुकानों के अलावा चूड़ी दुकानों पर भी महिलाओं की भीड़ दिखी। ब्यूटी पार्लर पर भी संवरने को महिलाओं की भीड़ दिखी।
स्टेशन रोड पर दिखा जाम
सहालग के पहले ही दिन शहर के स्टेशन रोड पर शाम से रात होने तक कई बार सड़कों पर जाम के हालात बनते रहे। चंद बरातियों के साथ निकली दूल्हे की शोभायात्रा के आगे चलने वाले बैंड-बाजा राह में अड़चन बनते रहे। इसके अलावा देवी रोड पर भी ऐसे हालात कई बार बने। श्रद्धालुओं ने पूजन कर देवों को जगाया
कुरावली: नगर और क्षेत्र में देवोत्थान एकादशी पर्व धूमधाम से मना। श्रद्धालुओं ने घरों में रंगोली सजाकर गन्ना रखते हुए पूजा अर्चन कर शयन में चले गए देवताओं को जाग्रत किया। इसके साथ शुभ कार्यों की शुरुआत हो गई।
बुधवार सुबह नगर और क्षेत्र में देवोत्थान एकादशी पर्व पर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चन किया। आंगन में रंगोली सजाकर गन्ना, जौ, सिघाड़ा आदि रखकर पूजन किया। इस अवसर पर पं. गजानंद दत्त मिश्र ने बताया कि देवोत्थान एकादशी कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। आषाढ़, शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है।