शहर में शोपीस बने पांच सौ हैंडपंप
मैनपुरी: गर्मी में पेयजल संकट गहरा जाता है। लेकिन लोगों की प्यास बुझाने वाले हैंडपंप सूखने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी: गर्मी में पेयजल संकट गहरा जाता है। लेकिन लोगों की प्यास बुझाने वाले हैंडपंप खुद प्यासे हैं। हाल ये है कि शहरी क्षेत्र में ही अधिकांश हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों का हाल भी कुछ ऐसा ही है। शासन ने गर्मियों से पहले ही सभी हैंडपंपों को सही कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन ये आदेश केवल फाइलों में सिमट कर ही रह गया। ²श्य एक : बीएसए कार्यालय परिसर
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में स्थित वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय के पास लगा है सरकारी हैंडपंप। यहां कर्मचारियों के साथ आने वाले शिक्षकों की प्यास बुझाने के लिए इसे लगवाया गया था। लेकिन, कई महीनों से इसमें पानी ही नहीं निकला। प्यास से परेशान लोगों को गर्मी के मौसम में इधर से उधर भटकना पड़ता है। ²श्य दो : कच्चा आढ़ती स्कूल के पासदेवी रोड पर कच्चा आढ़ती स्कूल के पास सड़क किनारे नगर पालिका ने हैंडपंप लगवाया था। उद्देश्य था कि राहगीरों की प्यास बुझाएगा। लेकिन, कई वर्षों से ये हैंडपंप खराब पड़ा हुआ है। लोग यहां पानी ही न पी सकें, इसके लिए पालिका प्रशासन द्वारा हैंडपंप के आसपास गंदगी के ढ र लगवाए जा रहे हैं। प्यास से व्याकुल राहगीरों को इस सड़क पर भटकना पड़ता है। ²श्य तीन : देवी रोड देवी रोड पर वर्ष 2016-17 में हैंडपंप लगवाया गया था। लेकिन, जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण आज तक किसी भी राहगीर की प्यास ही नहीं बुझा पाया। चौराहा के आसपास के लोगों को पानी के लिए बेवजह ही परेशान होना पड़ता है।
नगर पालिका के रिकॉर्ड में शहर में 3701 हैंडपंप लगे हुए हैं। कागजों में तो ये सभी दुरुस्त हैं लेकिन हकीकत में इनमें से पांच सैकड़ा से ज्यादा की धार सूख चुकी है। भीषण गर्मी में प्यास से व्याकुल राहगीरों को पानी की तलाश में भटकना पड़ रहा है। गर्मी शुरू होने से पहले नगर पालिका द्वारा हजारों रुपये खर्च करके हैंडपंपों को दुरुस्त करने का दावा किया जा रहा है लेकिन दुरुस्तीकरण की यह प्रक्रिया सिर्फ कागजों में ही कराई गई है। हाल ये है कि शहर में सार्वजनिक स्थान जैसे बस स्टैंड, बीएसए कार्यालय, मंडी आदि में भी हैंडपंप खराब हैं। यहां रोजाना सैकड़ों लोगों का आना जाना लगा रहता है। लेकिन प्यास बुझाने के लिए उन्हें दुकान से 20 रुपये की पानी की बोतल खरीदनी पड़ती है।
ग्रामीण इलाकों में नगर पंचायतों, ग्राम पंचायतों में 42272 हैंडपंपों की स्थापना कराई गई थी। कार्यदायी संस्थाओं के अनुसार सभी हैंडपंप सही ढंग से कार्य कर रहे हैं लेकिन इनमें से लगभग पांच हजार हैंडपंप या तो पानी नहीं दे रहे हैं या फिर उनमें गंदा पानी आ रहा है। बोले लोग
'हर साल गर्मी में पेयजल संकट गहराता है। सड़कों के किनारे लगे सरकारी हैंडपंपों की मरम्मत कराने में भी कार्यदायी संस्थाएं आनाकानी करती हैं। इसका खामियाजा शहरवासियों और राहगीरों को भुगतना पड़ता है।'दिनेश चंद्र सक्सेना, खरगजीत नगर। 'सार्वजनिक स्थानों पर जो हैंडपंप लगे हैं, वो भी खराब पडे़ हैं। कई जगहों पर तो पाइप लाइन से आपूर्ति नहीं होती। कागजों में तो मरम्मत दर्शाई जाती है लेकिन हकीकत में हैंडपंप ही सूखे हैं।'हरिओम श्रीवास्तव, रघुराजपुरी। 'न तो सभासदों के स्तर से पहल की जा रही है और न ही पालिका प्रशासन जांच कराता है। कर्मचारी और अधिकारी भी गलत रिपोर्ट पेश करते हैं। आखिर पेयजल व्यवस्था के लिए काम क्यों नहीं कराया जा रहा।'कन्हैया वर्मा, देवी रोड। 'झूठा सर्वे कराया जाता है। आंकड़े भी फर्जी होते हैं। देवी रोड पर कई हैंडपंप ऐसे लगे हैं जो व्यवस्था को मुह चिढ़ा रहे हैं। आखिर वजह क्या है जो पालिका प्रशासन इनकी मरम्मत नहीं करा रहा है।'प्रशांत कुमार, राजा का बाग। 'अभी तक सभासदों के स्तर से भी जानकारी नहीं दी गई है कि किस वार्ड में कितने हैंडपंप खराब हैं। स्थलीय सत्यापन कर एक-एक हैंडपंप को दुरुस्त कराया जाएगा। राहगीर भी वाट्सएप पर फोटो और स्थान का नाम भेजें ताकि हैंडपंपों को तलाशने में आसानी हो।' मनोरमा देवी, पालिकाध्यक्षनगर पालिका परिषद, मैनपुरी।