धूल फांक रही पालना योजना, जिम्मेदार बने मौन
मैनपुरी जासं। लावारिस बच्चों को मौत की गोद से बचाने के लिए जिला अस्पताल में पालना योजना की शुरूआत कराई गई थी। अपील की गई थी कि लावारिस बच्चों को फेंकने की बजाय चुपचाप पालने में छोड़ जाएं। अस्पताल प्रशासन एनजीओ की मदद से ऐसे लावारिस बच्चों की परवरिश कराएगा। लेकिन मर चुकी मानवता के आगे सूना पड़ा पालना बस विलाप ही कर रहा है।
जासं, मैनपुरी: लावारिस बच्चों को मौत की गोद से बचाने के लिए जिला अस्पताल में पालना योजना की शुरूआत कराई गई थी। अपील की गई थी कि लावारिस बच्चों को फेंकने की बजाय चुपचाप पालने में छोड़ जाएं। अस्पताल प्रशासन एनजीओ की मदद से ऐसे लावारिस बच्चों की परवरिश कराएगा। लेकिन, मर चुकी मानवता के आगे सूना पड़ा पालना बस विलाप ही कर रहा है।
बाल कल्याण समिति की सदस्य आराधना गुप्ता ने जिला महिला अस्पताल प्रशासन के सहयोग से अस्पताल परिसर में लगभग दो साल पहले एक पालना रखवाया था। सार्वजनिक अपील की थी कि लावारिस बच्चों को कूडे़ के ढेर में मरने के लिए छोड़ने से बेहतर है कि चुपचाप इस पालने में छोड़ जाएं। ताकि बच्चा एनजीओ की मदद से अपनी जिदगी जी सके। दो साल से यह पालना अस्पताल के एक कोने में ही रखा हुआ है। आज तक एक भी बच्चा इसकी गोद में नहीं रोया।
सोमवार की सुबह प्लाट में नवजात का लावारिस शव मिला तो पालना की पुकार भी विलाप करती दिखी। सदस्य आराधना गुप्ता का कहना है कि अब तक एक भी बच्चा इस पालने में नहीं मिला है। सीएमएस डॉ. एके पचौरी का कहना है कि यदि कोई भी लावारिस बच्चा हमें पालना में मिलेगा तो उसकी बेहतर देखभाल हमारे चिकित्सकों द्वारा की जाएगी। बाद में समिति की मदद से बच्चे को किसी बेहतर केयर सेंटर में भी भिजवाया जाएगा। नवजात को फेंकने वाले की सीसीटीवी से तलाश
जासं, मैनपुरी : चौकी प्रभारी रेलवे गेट बलवीर सिंह का कहना है कि नवजात के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। 72 घंटे बाद जब रिपोर्ट आएगी तभी कुछ साफ हो सकेगा। हम लोगों की सूचना के अनुसार ईशन नदी पुल से लेकर हंस नगर तक रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद भी ले रहे हैं। प्रयास है कि किसी फुटेज में कुछ तो नजर आ सके, जिससे नवजात के बारे में कुछ अंदाजा हो सके। लोगों के बताए अनुसार ईशन नदी पुल के आसपास भी पड़ताल कराई जा रही है।