ललूपुर में होने लगी हुकूमत के हुक्म की तामील
वीरभान ¨सह, मैनपुरी : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चौपाल के बाद ललूपुर के हालात बदलने लगे हैं। शुक
वीरभान ¨सह, मैनपुरी : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चौपाल के बाद ललूपुर के हालात बदलने लगे हैं। शुक्रवार को अधिकारियों की टोलियां कैंप करती दिखीं, तो कहीं जिम्मेदार घरों की कुंडी खटकाकर सुविधाओं का हाल पूछते मिले। ग्रामीण खुश हैं कि चलो कोई सौगात भले न मिली हो, लेकिन गांव की स्याह रात को उम्मीदों का सवेरा तो नसीब हो गया।
गुरुवार को सूबे के मुखिया ने गांव ललूपुर में चौपाल सजाई थी। घंटे भर तक लोगों की समस्याएं सुनीं। पहली बार मुख्यमंत्री मुखातिब हुए तो लोगों ने भी कोई मौका नहीं छोड़ा। हर किसी ने अपनी पीड़ा बताई। परेशानियों से व्यथित मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को सप्ताह भर के अंदर शासन की सभी योजनाओं से गांव को संतृप्त करने को कहा था। बस, एक रात ही बीती थी कि शुक्रवार सुबह से गांव में जिम्मेदारों की चहलकदमी शुरू हो गई।
शुरुआत स्वच्छता के साथ हुई। ग्राम प्रधान बालकिशन की अगुवाई में विभागीय टीम ने हर घर की कुंडी खटकाकर आंकडे़ जुटाए। जहां शौचालय बने थे, उसकी हकीकत परखी और जहां शौचालयों का अभाव था, वहां उनके नाम दर्ज किए। गलियों की सफाई से लेकर वर्षों पुरान जलभराव के निदान को भी मंथन हुआ। लोगों में मायूसी तो थी, लेकिन खुश इस बात से थे कि मुख्यमंत्री के आने से ही सही, गांव के दिन तो बदलने लगे। बॉक्स
साहब, हम तो उम्मीदों पर ही ¨जदा हैं
'अब हम का बोलैं बाबूजी। जब से होश संभालो तब से तो बदहाली ही देखी है। आज तक कोई पूछन नाय आओ कि हमें जरूरत काहे बात की है। हमऊं अनजान हैं, अब किनसे मांगें। योगी के आने से कम से कम गांव को रंग-रोगन तो होए गओ। अब गंदगी और हट जाए तो बात बनै।'राजवीर ¨सह। 'बड़ी संख्या में शिक्षित हैं गांव में। लेकिन, ज्यादातर बेरोजगार ही हैं। मुख्यमंत्री से उम्मीद थी कि कम से कम बेरोजगारों के हितों के बारे में तो सोचेंगे। लेकिन, उम्मीद टूट गई। अगर, कोई उद्योग मिल जाता तो सैकड़ों हुनरमंद हाथों को काम मिलता। देखो क्या होता है अब।'सतेंद्र ¨सह। 'विधायक जी ने तो मंच से उद्योग की मांग की थी। लेकिन, मुख्यमंत्री जी ने ध्यान ही नहीं दिया। हो सकता है बाद में कुछ करें। लेकिन, मौके पर आकर अगर कुछ तोहफा दे जाते तो हौसला पूर गांव का बढ़ता। फिर भी चलो इतना ही काफी है कि उन्होंने चौपाल लगाकर बात तो सुन ली।'कुंवरपाल। 'सबसे ज्यादा कमी तो शौचालयों की है। अगर, शौचालय बन जाएं और सभी उपयोग में आएं तो गंदगी दूर हो सकती है। लेकिन, हकीकत तो यह है कि यहां आज तक कोई सफाई कर्मी गंदगी का निस्तारण करने आया ही नहीं।'सत्यभान। बॉक्स
प्रधान की पाती में तीन मांगों का जिक्र
ग्राम प्रधान बालकिशन ने गांव के विकास के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पाती लिखी है। पत्र में तीन मांगों को प्रमुखता देते हुए उनके निस्तारण की गुहार लगाई है।
- गांव में पानी की टंकी स्थापित कराई जाए ताकि पाइप लाइन के माध्यम से ग्रामीणों को पेयजल मिले।
- श्मशान घाट का सुंदरीकरण कराते हुए चाहरदीवारी कराई जाए।
- गांव के बीचों-बीच एक बारातघर के निर्माण की स्वीकृति दी जाए ताकि ग्रामीणों को कार्यक्रमों के आयोजन के लिए सहूलियत मिल सके।
क्या कहते हैं ग्राम प्रधान
'गांव की आबादी लगभग आठ हजार है। इतनी बड़ी आबादी की प्यास बुझाने के लिए 200 हैंडपंप लगे हैं। दर्जन भर रीबोर के लिए हैं जिनकी मरम्मत कराई जा रही है। सबसे बड़ी मजबूरी है सफाई कर्मियों की। सिर्फ दो सफाई कर्मियों के बूते भला इतनी बड़ी आबादी को राहत कैसे दिलाई जाए। कोशिश कर रहे हैं कि प्रशासन की मदद से गांव में कुछ बडे़ कूडे़दान रखवा दिए जाएं। 'बालकिशन, ग्राम प्रधान