एक दूसरे के पूरक हैं अपराध नियंत्रण और मानवधिकार संरक्षण
अपराध नियंत्रण और मानवाधिकार एक -दूसरे के पूरक हैं। इन दोनों के समन्वय से कार्रवाई करके ही पुलिस सही मायनों में कानून- व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है। अपर जिला जज संतराम ने गुरुवार को पुलिस लाइन सभागार में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में यह बात कही।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : अपराध नियंत्रण और मानवाधिकार संरक्षण एक-दूसरे के पूरक हैं। इन दोनों के समन्वय से कार्रवाई करके ही पुलिस सही मायनों में कानून व्यवस्था को बेहतर बना सकती है। अपर जिला जज संतराम ने गुरुवार को पुलिस लाइन सभागार में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में यह बात कही।
'अपराध नियंत्रण एवम मानवाधिकार सरंक्षण परस्पर विरोधाभासी है' विषय पर प्रतियोगिता में पुलिस कर्मियों ने विचार रखे। पक्ष में आरक्षी श्यामवीर, विनय, नीरज वर्मा, नागेंद्र, रामसेवक, गौरव व रामू ¨सह और रिक्रूट संदीप दुबे, सौरभ ¨सह व मुकेश शर्मा ने कहा कि कई बार पुलिस कार्रवाई में मानवाधिकार बाधा बनता है। जब पुलिस को ही निशाना बनाया जाने लगे तो इसका पालन मुश्किल होता है। वहीं विपक्ष में उप निरीक्षक जगजीत ¨सह व शिवमंत ¨सह, आरक्षी महेश कुमार, विनय कुमार व राजबहादुर ¨सह, रिक्रूट शुभम पांडेय व कुलदीप प्रजापति ने तर्क दिए। इनका कहना था कि मानवाधिकार की रक्षा, पुलिस का कर्तव्य है, इसका उल्लंघन किए बिना भी कार्रवाई की जा सकती है।
अंत में अपर जिला जज और एसपी अजय शंकर राय ने कहा कि दोनों बातें एक-दूसरे की पूरक हैं। अपराधियों पर अंकुश के लिए कानून में पर्याप्त प्रावधान हैं, यदि इनकी जानकारी हो तो उल्लंघन की जरूरत नहीं होती। प्रतियोगिता में विपक्ष में तर्क देने वालों में उप निरीक्षक शिवमंत ¨सह और पक्ष में तर्क देने वाले आरक्षी रामू ¨सह को विजेता घोषित कर पुरस्कार प्रदान किए गए। इस दौरान एडीएम बी. राम, अपर पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश ¨सह आदि मौजूद रहे।