चीनी सामान के बहिष्कार से कुंभकारों के खिले चेहरे
कोरोना के कारण सात माह से बेरोजगार बैठे मिट्टी के बर्तनों का
मैनपुरी, जागरण संवाददाता: कोरोना के कारण सात माह से बेरोजगार बैठे मिट्टी के बर्तनों का कारोबार करने वाले कुंभकार अब दीपावली के त्योहार को लेकर खुश नजर आ रहे हैं। अबकी बार चीनी सामान के बहिष्कार के चलते मिट्टी के दीपक की मांग बढ़ी है। अब दीपक बनाने को चाक का पहिया भी तेजी से घूमने लगा है। करवा की बिक्री से खुश कुंभकार अब रोशनी के लिए दीपक बनाने में जुट गए हैं।
दन्नाहार क्षेत्र के कल्होर पुवा निवासी कुंभकार रघुनाथ सिंह स्वजनों समेत दीवाली की तैयारी में जुटे हैं। चीनी सामान के विरोध के बीच वे इस त्योहारी मौसम में होने वाली बिक्री का लाभ उठाना चाहते हैं। गांव मे तीसरी पीढ़ी के कुंभकार रघुनाथ सिंह इसके लिए महंगाई को जिम्मेदार ठहराते हैं। 55 वर्षीय रघुनाथ सिंह कहते हैं कि दीयों की कीमत बढ़ने से ग्राहक सस्ती चीनी लाइट अधिक पसंद कर रहे हैं, लेकिन इस बार लोगों के मन में मिट्टी के बने दीपकों का भाव बना है। चीनी लाइट के चलते आई 40 फीसद गिरावट -
कुंभकार रघुनाथ सिंह ने दो हजार दीपकों के आर्डर की पुष्टि करते हुए कहा कि हमें होली और दीपावली के दौरान अच्छा कारोबार मिलता था। लेकिन पिछले साल से बिक्री में 40 फीसद की गिरावट आयी है। ग्राहक चीनी लाइट जैसे सस्ते विकल्प पसंद करते हैं। साल के बाकी समय में यह और इनका परिवार मिट्टी के घड़े, बर्तन, कुल्लड़, फव्वारे और अन्य सजावटी सामान बेचते हैं, लेकिन आय बहुत कम है। खरीदे मिट्टी के दीपक- कंजाहार निवासी सुधीर कुमार ने बताया कि पड़ोसी गांव में मिट्टी के बर्तन मिलने से राहत है। हमको चाइना के आयटम खरीदने के बजाय मिट्टी के दीपक ही खरीदने चाहिये। शादी,तेरहवींआदि कार्यक्रम में कुल्लड़, सरोका में खाने से जो स्वादिष्ट भोजन मिलता है। वह फाइवर, पन्नी के वर्तन में नहीं।