जागरण अभियान : पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
मैनपुरी: गांव अंजनी जिला मुख्यालय से करीब आठ किमी दूर बसा गांव अंजनी सैनिकों के गांव के ना
मैनपुरी: गांव अंजनी जिला मुख्यालय से करीब आठ किमी दूर बसा गांव अंजनी सैनिकों के गांव के नाम से जाना जात है, लेकिन यहां पेयजल व्यवस्था ठप है। यहां जो हैंडपंप लगे हैं, उनसे कभी पीला पानी निकलता है, तो कभी मटमैला। ज्यादातर ग्रामीण खारी पानी पीने को मजबूर हैं। कई बार समस्या उठाई, लेकिन सुनवाई न हुई।
मुहल्ला गुलाबबाग में हर साल गर्मियों में लोगों को खारे और गंदे पानी की समस्या से जूझना पड़ता है। ज्यादातर हैंडपंप पानी छोड़ जाते हैं। जिनसे पानी निकलता है, रीबोर न होने से उनका पानी पीने योग्य नहीं रहता। लोगों को यही गंदा पानी पीना पड़ता है। गहराती जा रही समस्या के समाधान को जिम्मेदारों के स्तर से कोई प्रबंध नहीं हुए।
ये तो महज दो उदाहरण हैं। शहर में ज्यादातर स्थानों पर पेयजल की किल्लत है। शहर से सटे गांव खरपरी, भांवत चौराहा, पॉवर हाउस, पुरानी मैनपुरी, आगरा रोड, राजीव गांधी नगर, हंस नगर, पुसैना, बागवान, चौथियाना में भी दर्जनों हैंडपंप पीला पानी उगल रहे हैं। लंबे समय से समस्या को झेलते आ रहे लोग पानी को छानकर खारा पानी पीने को ही मजबूर हो रहे हैं। एक नजर आंकड़ों पर
तत्व मानक अतिरिक्त मात्राफ्लोराइड 01 पीपीएम 1.2 पीप एम तक
क्लोराइड 200 पीपीएम 210 पीपीएम तकआयोडीन .1 से .3 पीपीएम .4 पीपीएम तक
(पीपीएम मतलब पार्ट पर मिलियन) बोले लोग
गर्मियों के मौसम में प्यास बुझाने के लिए राहगीरों को सिर्फ हैंडपंपों का ही सहारा होता है। लेकिन, हैंडपंपों से निकलने वाला पानी बजाय प्यास बुझाने के बीमारियां बढ़ा रहा है। कहीं पीला पानी निकलता है, तो कहीं बालू वाला। जिम्मेदारों को चाहिए कि वे सिर्फ सर्वे ही न कराएं, हैंडपंपों को रीबोर कराएं।
नीरज बैजल, करहल रोड। हर साल गर्मियों में ही पेयजल का संकट सामने आता है, लेकिन पालिका प्रशासन द्वारा कभी भी पहले से इसका निदान नहीं कराया जाता। पुरानी मैनपुरी के कई मुहल्लों में तो हैंडपंपों की स्थिति ही खराब है। दूषित पानी पीने की वजह से ही बीमारियों में भी इजाफा हो रहा है।
पल्लव जैन, सौतियाना। दूषित पानी के सेवन से पेट की गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं। पाचन तंत्र प्रभावित होने के साथ आंतों के रोग भी हो जाते हैं। गर्मियों में दूषित पानी हैजा और डायरिया की वजह भी बनता है। कई बार तो स्थितियां गंभीर हो जाती हैं। जिम्मेदारों को बेहतर पेयजल व्यवस्था मुहैया करानी चाहिए।
डॉ. गौरव पारिख, सर्जन। पालिका और जल निगम को समय पर ही अव्यवस्था दूर कराने के प्रयास करने चाहिए। दूषित पानी एक बड़ी समस्या है। कई मुहल्लों को इसका सामना करना पड़ रहा है। खरपरी में तो कई हैंडपंपों से पीले रंग का पानी निकलता है। इससे मुख की बीमारियों के साथ पेट की बीमारियां भी बढ़ रही हैं।
प्रमोद कश्यप, कचहरी। जिम्मेदार कहिन..
पानी का पीला रंग होने की असली वजह उथली बो¨रग का होना है। पहले जलस्तर ऊंचा था। तब लोगों को 170 से 200 फुट की गहराई पर आसानी से शुद्ध पानी निकल आता था। लेकिन, अब जल स्तर में गिरावट आई है। यही वजह है कि 170 और 200 फुट की गहराई पर स्थित हैंडपंपों से पीले रंग का पानी निकल रहा है। यदि 300 फुट की गहराई पर बो¨रग कराई जाए तो यह समस्या दूर हो सकती है।
-ओमवीर दीक्षित, अधिशासी अभियंता जल निगम। जलकल विभाग द्वारा सर्वे कराया गया है। शहर में 1201 हैंडपंप हैं। लगभग एक सैकड़ा रीबोर होने के लिए हैं। विभागीय टीम द्वारा सभी हैंडपंपों को रीबोर कराने के साथ पालिका द्वारा लगवाई गईं सबमर्सिबल पंपों की भी जांच कराई जाएगी कि उनसे पानी पहुंच रहा है या नहीं।'
धर्मराज ¨सह, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका।