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आश्वासनों पर ही चल रही व्यवस्था

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: किशनी थाना क्षेत्र के गांव फरैंजी निवासी रामेश्वर दयाल सातवीं बार

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Feb 2018 10:44 PM (IST)Updated: Fri, 16 Feb 2018 10:44 PM (IST)
आश्वासनों पर ही चल रही व्यवस्था
आश्वासनों पर ही चल रही व्यवस्था

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: किशनी थाना क्षेत्र के गांव फरैंजी निवासी रामेश्वर दयाल सातवीं बार शुक्रवार को जिलाधिकारी के दरबार में पहुंचे। सुविधा शुल्क न देने पर खतौनी से लेखपाल ने उनका नाम ही काट दिया। नाम दर्ज कराने के लिए एक साल से अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। अधिकारी भी उन्हें निराश नहीं करते। हर बार प्रार्थना पत्र लेकर उन्हें उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर वापस लौटा देते हैं। मगर, परेशान पीड़ित को न्याय नसीब ही नहीं हो रहा है।

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शुक्रवार को कलक्ट्रेट परिसर में ऐसे कई फरियादी पहुंचे, जो विभागीय अव्यवस्था से परेशान हैं। नगला बगिया निवासी ढकेली देवी (58) की पेंशन न मिलने से परेशान हैं। उन्होंने बताया कि फॉर्म भरकर जमा करने के बावजूद उन्हें आज तक पेंशन की सुविधा नहीं मिल पाई है। तीसरी बार शिकायत करने कलक्ट्रेट पहुंचीं लेकिन बाबुओं से यह कहकर वापस लौटा दिया कि जिलाधिकारी से मिलने का समय खत्म हो गया, दोबारा आना। पीड़िता बगैर निदान कराए ही वापस लौट गई। वह कहती हैं कि हर बार बाबुओं द्वारा उन्हें यही कहकर लौटा दिया जाता है। वे दूर गांव से आती हैं। संसाधनों के अभाव में समय पर नहीं पहुंच पातीं। लगता है शिकायत का निस्तारण होगा ही नहीं।

यहां चलती है बाबुओं की मनमानीकलक्ट्रेट परिसर में कई विभागों का संचालन हो रहा है। ज्यादातर का संचालन बाबुओं द्वारा ही किया जाता है। दूर गांवों से आने वाले फरियादी यदि 12 बजे के बाद आते हैं तो यहां तैनात लिपिकों द्वारा प्रार्थना पत्रों को लेने से इनकार कर दिया जाता है। यदि प्रार्थना पत्र ले भी लिया जाता है तो पीड़ित को उसकी द्वितीय प्रति उपलब्ध नहीं कराई जाती। ज्यादातर फरियादियों को बगैर निस्तारण ही वापस लौटना पड़ता है।

बोले लोग 'हमने साधन सहकारी समिति घिरोर से 2012 में खाद ली थी। सचिव चंद्रपाल ¨सह ने तब अंश ख की चैक बुक से च क काट लिया था और काउंटर को कोरा छोड़ दिया था। उसके बाद से हमने कोई खाद नहीं खरीदी। लेकिन, जालसाजी से सचिव ने चैक खराब होने का बहाना बताकर एक लाख रुपया हड़प लिया। न्याय के लिए लगातार चक्कर काट रहा हूं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।'सुरेश बाबू, नगला प्राणनाथ, घिरोर।

'एक बैनामा किया था। सभी के नाम अंकित कराए थे लेकिन लेखपाल ने साजिश करके खतौनी से मेरा ही नाम गायब कर दिया। 2013 से लगातार अधिकारियों के चक्कर काट रहा हूं। 50 से भी ज्यादा प्रार्थना पत्र दे चुका हूं लेकिन अब तक खतौनी पर नाम नहीं चढ़ाया गया। हर बार लेखपाल गलत पैमाइश करके अधिकारियों को गुमराह कर देता है। जिलाधिकारी ही न्याय दिला सकते हैं।'वीरेंद्र बाबू तिवारी, मधुकरपुर, किशनी।

'वर्ष 2002 से कई बार प्रार्थना पत्र दे चुका हूं। खतौनी पर नाम दर्ज कराया जाना है। हर बार लेखपाल द्वारा आनाकानी कर अधिकारियों को गुमराह कर दिया जाता है। अब तो मानसिक तौर पर परेशान हो चुका हूं। प्रार्थना पत्र देकर भी थक गया हूं। कोई न्याय नहीं मिला।'रामचंद्र, अहिरबा, भोगांव।


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