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सब्जियों के राजा को नहीं मिल रहा भाव, फिर रंक न बन जाएं किसान

मैनपुरी जासं। आलू राजा की हालत इन दिनों खस्ता है। बंपर पैदावार होने पर कीमत भी ठीक थी लेकिन अब अचानक रेट गिर गए। खुदाई के समय आलू के जिस पैकेट की कीमत पांच सौ रुपये प्रति पचास किलो थी अब घटकर तीन सौ से भी कम रह गई है। इससे पट्टे पर खेत लेकर फसल करने वाले किसानों की हालत कुछ खराब है वह कीमत बढ़ने के इंतजार में शीतगृह से आलू नहीं निकाल रहे। ऐसे में एक बार फिर राजा के सड़क पर आने की उम्मीद बनने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 11:05 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 06:25 AM (IST)
सब्जियों के राजा को नहीं मिल रहा भाव, फिर रंक न बन जाएं किसान
सब्जियों के राजा को नहीं मिल रहा भाव, फिर रंक न बन जाएं किसान

श्रवण कुमार शर्मा, मैनपुरी:

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सब्जियों का राजा कहे जाने वाले आलू की हालत इन दिनों खस्ता है। बंपर पैदावार होने पर भी शुरुआत में कीमत ठीक थी, लेकिन अब अचानक रेट गिर गए। खोदाई के समय आलू के जिस पैकेट की कीमत पांच सौ रुपये प्रति पचास किलो थी, अब घटकर तीन सौ से भी कम रह गई है। इससे किसान नुकसान की आशंका में डूबे हुए हैं। सबसे ज्यादा संकट पट्टे पर खेत लेकर फसल करने वाले किसानों के सामने है। ज्यादातर किसान कीमत बढ़ने के इंतजार में शीतगृह से आलू नहीं निकाल रहे, जबकि आगे चलकर आलू के भाव और गिरने की आशंका है।

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पांच लाख मीट्रिक टन उत्पादन

जिले में इस बार 21500 हेक्टेयर क्षेत्र में पांच लाख मीट्रिक टन आलू की पैदावार हुई। इसमें से 4.12 लाख मी. टन शीतगृहों में रखा गया।

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11 बीघा में डेढ़ लाख लागत

किसान रामभरोसे बताते हैं कि 75 हजार रुपये में 11 बीघा खेत पट्टे पर लेकर आलू बोया था। जुताई, बीज, दवा, खोदाई, बिनाई में 38 हजार रुपये खर्च हुए। करीब 47 हजार रुपये शीतगृह भाड़ा, पांच हजार रुपये का बारदाना और छह हजार रुपये ट्रैक्टर का भाड़ा लगा। कुल लागत करीब डेढ़ लाख रुपये आई। उत्पादन 352 पैकेट हुआ। अब 300 रुपये प्रति पैकेट बेचें तो भी करीब 36 हजार का घाटा होगा। शीतगृह वाले देते हैं कर्ज

कुछ किसानों का शीतगृह कारोबारियों से अजीब सा करार होता है। किसानों को शीतगृह वाले फसल के लिए कर्ज देते हैं, जिसे आलू की बिक्री के दौरान वसूलते हैं। आलू भी इन्हें के शीतगृह में रखा जाता है। भाव गिरने पर शीतगृह से आलू न निकालने की एक वजह ये भी है। बाजार में भाव दस रुपये किलो

पर्याप्त मात्र में आलू होने से भी बाजार में राजा का भाव ऊपर नहीं जा रहा है। शहर में फुटकर में ही दस रुपये किलो में आलू बिक रहा है। थोक में तो भाव और कम है। किसान शीतगृह से कुछ आलू निकालते हैं तो भाव नहीं मिलता, इस वजह से भी इसे औने-पौने भाव में किसान को बेचना पड़ रहा है।

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25 फीसद ही निकल सका आलू

जिले के 55 शीतगृहों में से 53 में फसल आने के दौरान 4.12 लाख मीट्रिक टन आलू का भंडारण हुआ था। अब तक शीतगृहों में जमा आलू में से केवल 1.15 लाख मीट्रिक टन आलू निकल सका है जो सिर्फ 25 फीसद है।

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आलू की कीमत उम्मीद से ज्यादा कम हुई है, इसलिए शीतगृह से नहीं निकाला। भाव बढ़ते ही निकाल लेंगे।

- विजय सिंह, किसान।

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आलू में इस बार घाटा तय है। शुरू में कीमत ठीक थी। तब और ज्यादा के लालच में आलू नहीं बेचा था।

देवलाल, किसान।

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किसान आलू के रेट बढ़ने का इंतजार न करें। आलू को मंडी में भेजें। 150 किमी के दायरे में किसी भी मंडी में भेज सकते हैं। 50 रुपये प्रति कुंतल सब्सिडी मिलेगी।

अनीता सिंह, जिला उद्यान अधिकारी

- सस्ता होने से किसान आलू को शीतगृह से नहीं उठा रहे। किराया नहीं मिल पा रहा है। कारोबार में घाटा हो रहा है। कई शीतगृह स्वामियों ने तो आलू किसानों को भंडारण पर ऋण दिया था, ऐसे में ऋण की वापसी पर बादल मड़राने लगे हैं। अब ऐसे किसानों को धारा 17 के तहत सूचना देकर उनका माल बिकवाने की व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिए, जिससे शीतगृह मालिक घाटे से बच सकें।

विनय कुमार गुप्ता, अध्यक्ष मैनपुरी कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन।


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