दवाओं का अवैध कारोबार, विभाग मौन
मैनपुरी जासं जिले में दवाओं के अवैध कारोबार का यह खेल सिर्फ एक नहीं बल्कि सभी दवा दुकानों पर बेखौफ खेला जा रहा है।
केस एक :
शहर की आवास विकास कालोनी निवासी अभिषेक ने कचहरी रोड स्थित एक मेडिकल स्टोर से पेन किलर खरीदीं। दवाओं का बिल मांगा तो दुकानदार ने उन्हें कागज पर लिखकर दे दिया। पक्का बिल मांगने पर दूसरी दुकान से दवा खरीदने की बात कहकर उन्हें टरका दिया। केस दो :
स्टेशन रोड निवासी सर्वेश कुमार ने तांगा स्टैंड स्थित एक दुकान से डायबिटीज की टेबलेट खरीदीं। उन्होंने भी बिल मांगा तो दुकानदार ने बाद में आने की बात कहकर उन्हें टरका दिया। मैनपुरी, जासं : जिले में दवाओं के अवैध कारोबार का यह खेल सिर्फ एक नहीं बल्कि सभी दवा दुकानों पर बेखौफ खेला जा रहा है। रोजाना लाखों रुपये की दवाओं का कारोबार किया जाता है लेकिन किसी भी केमिस्ट द्वारा मरीज को खरीदी गई दवाओं का बिल नहीं दिया जाता है। ज्यादातर ग्राहकों द्वारा इसकी मांग भी नहीं की जाती। लेकिन, जिन ग्राहकों द्वारा बिल की मांग की जाती है, उन्हें दुकानदार कागज पर हाथ से लिखकर थमा देते हैं। खुलेआम चल रही मनमानी के खिलाफ औषधि विभाग द्वारा भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे करते हैं खेल
दुकानदारों द्वारा किसी भी ग्राहक को भले ही बिल न दिया जा रहा हो लेकिन बचने के लिए गलत ढंग से कंप्यूटर में फीडिग दर्शा दी जाती है। इसमें सिर्फ दवाओं की बिक्री दिखाई जाती है, उन्हें किसे बेचा गया है, इसका कोई जिक्र नहीं होता है। ये है नियम
नियम है कि केमिस्ट जो भी दवा बेचते हैं, उसके खरीददार का नाम और पता भी कंप्यूटर पर दर्ज किया जाएगा। इतना ही नहीं, बिल पर भी जानकारी को दर्ज करना होता है। इसकी एक प्रति ग्राहक को और दूसरी खुद के पास रखनी होती है। लेकिन, जिले में ऐसा नहीं हो रहा है। लाखों की कर चोरी
जिले में लगभग 500 दवा की दुकानें हैं। औसतन प्रतिदिन का कारोबार लगभग 50 लाख रुपये या इससे भी ज्यादा का है। इनमें से ज्यादातर कारोबार बिना बिल जनरेट किए ही कराया जा रहा है।
नियम से मरीज को बिल देना जरूरी है। यह सरासर नियमों की अनदेखी है। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया जाएगा। यदि केमिस्ट बिल नहीं देते हैं और जांच में यह सत्य मिलता है तो ऐसे दवा कारोबारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कराई जाएगी।
उर्मिला अग्रवाल, औषधि निरीक्षक, मैनपुरी।