Move to Jagran APP

उस्ताद की 'तारकशी' से चमक रही शागिर्दो की जिंदगी

शीशम की लकड़ी पर पीतल के पतले तारों से की गई नायाब नक्काशी देश ही नहीं, विदेशों में भी अपने हुनर का डंका बजा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 12:05 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 12:05 AM (IST)
उस्ताद की 'तारकशी' से चमक रही शागिर्दो की जिंदगी
उस्ताद की 'तारकशी' से चमक रही शागिर्दो की जिंदगी

जासं, मैनपुरी: वैसे तो उनका ये पुश्तैनी हुनर था। चाहते तो हुनर को अपने घर से बाहर नहीं जाने देते। मगर, कला की रोशनी को दुनिया भर में बिखेरने के लिए हुनर को बांटने में कोई हिचक नहीं दिखाई। जो सीखने आया, उसे 'तारकशी' की कला की मानिंद पूरी शिद्दत से तराशा। शागिर्द भी खरे उतरे। उस्ताद की इसी 'तारकशी' से तमाम शागिर्दो की जिंदगी चमक रही है।

loksabha election banner

तारकशी, मैनपुरी के हस्तशिल्पियों का एक ऐसा नायाब हुनर है जिसमें बेजान लकड़ी और पीतल के तारों से बनाई गई आकृति जीवंत हो उठती है। जो भी इस कला को देखता है, नजर नहीं हटा पाता। शहर के मुहल्ला न्यू बस्ती देवपुरा निवासी राजकुमार शाक्य और उनके भाई नेमीचंद्र शाक्य तारकशी के लिए विख्यात हैं। इस कला से कोई अनजान न रहे, इसके लिए वे अपने घर में ही लोगों को कला की बारीकियां सिखाते हैं। एक सैकड़ा से ज्यादा लोग उन्होंने तराशे हैं। इस हुनर के जरिए अब इनके परिवार बेहतर तरीके से जीवनयापन कर रहे हैं। नेमीचंद्र शाक्य कहते हैं कि महिलाएं हुनरमंद होती हैं। ऐसे में वे घर बैठकर ही आकर्षक आकृतियां बनाकर सिर्फ अपना हुनर ही नहीं निखार रहीं, बल्कि अपनी बनाई हुई कलाकृतियों को बेचकर अच्छी आमदनी भी कर रही हैं।

1960 में हुई थी शुरुआत

नेमीचंद्र ने बताया कि वर्ष 1960 में उनके दादा-परदादा ने इस कला की शुरुआत की थी। तब से वे इस पुश्तैनी कला को जिंदा रखने में जुटे हुए हैं।

ये है तारकशी

तारकशी एक ऐसी कला है जिसमें शीशम की लकड़ी पर पीतल और चांदी के तार ठोंककर आकृतियां बनाई जाती हैं। एक आकृति बनाने में दो से तीन दिन का समय लग जाता है। इसकी कीमत भी हजारों रुपये में होती है। भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी इस कला के कद्रदान हैं।

मिल चुका है सम्मान

- वर्ष 2005 में उप राष्ट्रपति भैरो ¨सह शेखावत ने दिल्ली विज्ञान भवन में 'शिल्प गुरु' अवार्ड दिया था। राष्ट्रपति प्रतिभा देवी ¨सह पाटिल द्वारा भी सम्मानित किया गया।

- वर्ष 2012 में हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया ने सम्मानित किया था।

- वर्तमान प्रदेश सरकार ने 'एक जिला एक उत्पाद' के रूप में तारकशी को शामिल किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.