मैनपुरी: तत्कालीन भूमि संरक्षण अधिकारी दिनेश कुमार यादव करोड़ों के घोटाले में फंसे, पत्नी की फर्म को गलत भुगतान
मैनपुरी के तत्कालीन भूमि संरक्षण अधिकारी दिनेश कुमार यादव करोड़ों के घोटाले में फंस गए हैं। उन पर नगर पालिका के रिवाल्विंग फंड से सवा तीन करोड़ रुपये हड़पने का आरोप है। विजिलेंस जांच में दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने अपनी पत्नी की फर्म को भी गलत तरीके से भुगतान किया था। सपा सरकार में रसूख के चलते जांच पहले रोक दी गई थी, लेकिन 2019 में फिर शुरू हुई।

सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी। तत्कालीन भूमि संरक्षण अधिकारी जनपद में करोड़ों का घोटाला करने के मामले में फंस गए हैं। उनके खिलाफ आगरा विजिलेंस थाने में निरीक्षक द्वारा विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। उन पर आरोप है कि उन्होंने नगर पालिका परिषद के रिवाल्विंग फंड में से हासिल छह करोड़ में से करीब सवा तीन करोड़ रुपये की सरकारी धनराशि हड़प ली। आगरा विजिलेंस की जांच में वह दोषी पाए गए हैं।
करोड़ों का हुआ खेल
सतर्कता अधिष्ठान आगरा के निरीक्षक अशोक कुमार द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, मैनपुरी में तत्कालीन भूमि संरक्षण अधिकारी एवं परियोजना अधिकारी रामगंगा कमांड रहे दिनेश कुमार यादव ने वर्ष 2006-07 में नगर पालिका के छह करोड़ रुपये के रिवाल्विंग फंड 2006-07 में विकास एवं सुदृढ़ीकरण कराए जाने के लिए निविदा प्रकाशित कराए बिना ही शकुंतला यादव की फर्म शकुंतला ट्रेडर्स एवं अन्य फर्म को निविदा आवंटित कर दीं। इसमें करोड़ों का खेल हुआ।
बंद हो चुका था भट्ठा
विजिलेंस जांच में सामने आया कि वर्ष 2006-07 एवं 2007-08 में रूबी इंजीनियरिंग एंड स्टील ट्रेडर्स गाजियाबाद ने लोहे की सामग्री सप्लाई की। फर्म को चेकों के माध्यम से 45 लाख रुपये का भुगतान दिखाया गया। जोकि उसके खाते में पहुंचा ही नहीं। इसके साथ ही जिस पवन ईंट भट्टा बोझी सुमेरपुर से वर्ष 2006-7 में 49 लाख रुपये ईंट खरीदना दिखाया गया, वह भट्टा वर्ष 2003 में ही बंद हो चुका था।
अपनी पत्नी की फर्म को भेजे 2 करोड़ से अधिक, माल आपूर्ति के नहीं मिले साक्ष्य
विजिलेंस जांच में सामने आया कि दिनेश कुमार यादव ने इटावा की फर्म शकुंतला ट्रेडर्स से सरिया, बालू, सीमेंट आदि लिया। यह फर्म उनकी पत्नी के नाम पर थी। इस फर्म को दो करोड़ एक लाख पचास हजार रुपये का भुगतान किया गया। साथ ही यहां से सामग्री आने का भी कोई साक्ष्य नहीं मिला।
सपा सरकार में था रसूख, दबा दी गई थी जांच
स्थानीय विभागीय लोगों की मानें तो उक्त अधिकारी का सपा सरकार में रसूख था। यही कारण रहा कि फरवरी 2012 में शासन के आदेश पर तत्कालीन परियोजना अधिकारी दिनेश कुमार यादव के खिलाफ शुरू हुई जांच को वर्ष 2015 में जांच को अग्रिम आदेश तक जांच स्थगित रखे जाने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2019 में फिर से जांच शुरू कराई गई। इसमें वह दोषी पाए गए।
विजिलेंस की जांच में तत्कालीन परियोजना अधिकारी दिनेश कुमार यादव अनियमितताएं सामने आई हैं। उनके आधार पर आरोपित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। आलोक शर्मा, एसपी विजिलेंस

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