भये प्रगट कृपाला दीनदयाला..
मैनपुरी, किशनी : भगवान राम के जन्म का उद्देश्य ही राष्ट्र, समाज व मानवता को अधर्म और पाप के
मैनपुरी, किशनी : भगवान राम के जन्म का उद्देश्य ही राष्ट्र, समाज व मानवता को अधर्म और पाप के विरुद्ध जगाना है। प्रभु राम गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र को प्रिय है। ये प्रवचन रामकथा के पहले दिन नगर के साईं धाम पर चल रही रामकथा में ज्ञान शुक्ला व मृदुला रामायणी ने दिए। उन्होंने कहा कि आज के युग के रावण वो हैं, जो नकली दवा बेचते हैं। गरीब, बेबस, दीन-हीन को भ्रष्टाचार से पीड़ित करते हैं। राम कथा में ताड़का वध की कथा सुनाते हुए कहा कि सबसे पहले पाप की जड़ में प्रहार होना चाहिए। संस्कारहीन, मांसाहारी और ¨हसक पुत्रों को जन्म देने वाली मां ही ताड़का है। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण का पहला प्रहार पूतना पर होता है और राम जी का पहला वार ताड़का पर होता है। पापी, अत्याचारी और राष्ट्र समाज के भ्रष्टाचारी को जन्म देने वाली हर नारी पूतना-ताड़का है। मारीच से पहले ताड़का का वध होना ही चाहिए। स्वामी अनंतानंद महाराज, दिव्यानंद महाराज, रामनरेश गुप्ता, अजय चतुर्वेदी, विजय चतुर्वेदी, र¨वद्र ¨सह भदौरिया, प्रमोद पांडेय, राघवेंद्र चौहान, अर¨वद गुप्ता, अमरदीप चौबे आदि मौजूद रहे।