हाशिए पर रहा खद्दरा, न बदले हालात
हर चुनाव में सड़कों को लेकर हर बार ग्रामीण ठगे गए हैं। कची गलियों में कीचड़ से ही ग्रामीणों का सामना होता रहा है।
मैनपुरी, संसू। पंचायत चुनाव आते ही संभावित प्रत्याशियों की टोलियां गांवों में समर्थन जुटाने की कसरत में जुट गई हैं, लेकिन कई गांव ऐसे हैं जिनकी सूरत बदल न सकी। ऐसे ही गांवों में शामिल है कुसमरा का गांव खद्दरा। यहां बदहाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे गांव में ज्यादातर सड़कें और गलियां बदहाल हैं। सड़कों को लेकर हर बार ठगे गए ग्रामीणों का यहां कच्ची गलियों में कीचड़ भरे रास्तों से हर रोज सामना होता है।
लगभग 1300 की आबादी वाले इस गांव के ज्यादातर लोग जन प्रतिनिधियों से नाराज हैं। यहां आज तक न तो सड़कें व गलियां बन सकीं और न ही अन्य विकास कार्य। सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। कागजों में तो कचरे का उठान होता है, लेकिन सफाई कर्मचारी अब तक दिखाई न दिया। शिकायतें कई बार हुईं, लेकिन अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों ने हर बार अनसुना कर समस्या को नजरअंदाज कर दिया। ग्रामीण गौरीशंकर, बांकेलाल, चंद्रपाल, मुनेश, गजराज, जसराम, सुशील कुमार का कहना है कि 15 सालों से वे सिर्फ कीचड़ युक्त कच्ची गली से ही आ-जा रहे हैं। खुले में शौच को जा रही 30 फीसद आबादी
स्वच्छ भारत अभियान के तहत आंकड़ों की बाजीगरी दिखाने वालों ने भी सही सूचना नहीं दी। गांव की लगभग 30 फीसद आबादी अभी खुले में ही शौच को जा रही है। अनीता देवी पत्नी राकेश कुमार का कहना है कि उन्होंने तीन बार शौचालय के लिए आवेदन किया। विभाग ने एक किस्त भेज दी, लेकिन दूसरी आज तक खाते में नहीं आ सकी है। अब मजदूरी छोड़कर रोज-रोज यदि विभाग के चक्कर लगाएं तो बच्चों का पेट कैसे भरें। ज्यादातर लोगों की समस्या एक सी ही है।
आवास के नाम पर भी हो गया खेल
गांव में आवासीय योजना के नाम पर भी खूब मनमानी हुई है। ग्रामीण सोनम, सोनी, नागेंद्र कुमार, दीप सिंह, आशा देवी, श्रीकृष्ण, माया देवी, लक्ष्मी का आरोप है कि उन्होंने आवास के लिए आवेदन किया था। हर बार ग्राम प्रधान, सचिव और विभागीय दफ्तरों में जाकर कागजी औपचारिकताएं कीं, लेकिन आज तक आवासीय योजना का लाभ नहीं मिला। जबकि, कई ऐसे लोगों को लाभ मिल गया, जिनके पास आवासों की सुविधा पहले से ही है। नाराज हैं ग्रामीण
गलियों के निर्माण के लिए कई बार मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी। ग्राम प्रधान से लेकर अधिकारियों और पदाधिकारियों ने भी शिकायतों की अनदेखी की। कीचड़ युक्त रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है।
ओमकार।
एक तो कीचड़युक्त गलियां, उस पर गंदगी का अंबार। हमेशा बीमारियों का खतरा बना रहता है। सफाई कर्मचारी यहां आज तक नहीं आए। प्रधान, सचिव ने भी सुनवाई नहीं की। ज्यादातर लोगों को तो खुले में ही शौच के लिए जाना पड़ता है।
सुनील कुमार।