कांशीराम आवासीय कालोनियां बिजली विभाग के लिए बनीं सिरदर्द
गरीब परिवारों के लिए बनीं कांशीराम आवासीय कालोनियां बिजली विभाग के लिए सिर दर्द बन गई हैं। इनमें सैकड़ों परिवार रहते हैं। बिजली का उपयोग करते हैं लेकिन बिल नहीं भरते हैं। काफी परिवार ऐसे हैं जिन्होंने कभी बिल जमा ही नहीं किया है।
अमरोहा, जेएनएन। गरीब परिवारों के लिए बनीं कांशीराम आवासीय कालोनियां बिजली विभाग के लिए सिर दर्द बन गई हैं। इनमें सैकड़ों परिवार रहते हैं। बिजली का उपयोग करते हैं लेकिन बिल नहीं भरते हैं। काफी परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने कभी बिल जमा ही नहीं किया है। वसूली को कर्मचारी पहुंचते हैं तो महिलाएं हंगामा कर बैठती हैं। इस तरह करोडों रुपया बकाया हो चुका है, जिसकी रिकवरी नहीं हो पा रही है।
अकेले गजरौला डिवीजन में छह कालोनियां हैं, जिनमें बने 644 कमरों में लोग निवास कर रहे हैं। यह कालोनियां पूर्व में बसपा की सरकार में गरीब परिवारों को आवास उपलब्ध कराने को बनाई गई थीं। बिजली विभाग का कहना है कि इन कालोनियों का विद्युतीकरण कर बिजली कनेक्शन कर दिए गए। मीटर भी लगा दिए गए लेकिन इनमें निवास करने वाले ऐसे लोग बेहद कम हैं, जो नियमित अपने बिजली बिलों का भुगतान कर रहे हैं। अधिकांश लोग ऐसे हैं, जिन्होंने बिल जमा ही नहीं किया है। ऐसे लोगों पर काफी बकाया हो गया है। एक उपभोक्ता पर 40-50 हजार रुपये बकाया निकल रहा है। इस हिसाब से कई करोड़ रुपया बकाया इन उपभोक्ताओं पर हो गया है। विभाग वसूली को जोर दे रहा है। दस हजार से अधिक बकाए वाले उन बिजली उपभोक्ताओं से वसूली पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है, जिन्होंने कभी भुगतान ही नहीं किया। इसमें ज्यादातर उपभोक्ता इन्ही कालोनियों में निवास करने वाले सामने आ रहे हैं। उनसे वसूली नहीं हो पा रही है। वह बिल चुकाने में असर्मथता जता रहे हैं। ऐसे काफी लोगों की बिजली कनेक्शन काटने साथ आरसी भी काटी जा रही है।
इन इलाकों में बनीं हैं कांशीराम आवासीय कालोनियां
गजरौला में तीन कालोनी, बछरायूं में दो और मंडी धनौरा में एक कालोनी बनीं हैं। सभी कालोनी में आवासों की संख्या 644 है।
क्या बोले अधिकारी
गजरौला डिवीजन में आने वाली कांशीराम कालोनियां पर काफी बकाया है। वसूली की प्रकिया अपनाई जा रही है। बिल का भुगतान नहीं करने वाले उपभोक्ताओ के कनेक्शन काटे जा रहे हैं। इसके बाद भी भुगतान नहीं करने पर रिकवरी को आरसी जारी की जा रही है।
-हरीश चौधरी, एक्सईएन, गजरौला डिवीजन, बिजली विभाग