Move to Jagran APP

पूजन की पहली सीढ़ी मन की निर्मलता

मैनपुरी जासं गुरुवार को शहर के आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में आचार्य विशोक सागर महराज ने प्रवचन दिए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 05:03 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 05:03 AM (IST)
पूजन की पहली सीढ़ी मन की निर्मलता
पूजन की पहली सीढ़ी मन की निर्मलता

मैनपुरी, जासं: गुरुवार को शहर के आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में आचार्य विशोक सागर महाराज ने कहा कि पूजन परंपरा निर्वाह या खानापूर्ति नहीं है। अपितु आत्म कल्याण की ओर उन्मुख होना चाहिए।

loksabha election banner

उन्होंने कहा कि पूजा ही वास्तु पूजन है, पूजन में फार्मेलिटी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि चाह हमारे मन को अपवित्र कर देती है। जब तक मन अपवित्र होगा, तब तक पूजन संभव नहीं। निर्मलता ही मन का प्रथम बिदु है, मन की शुद्धि ही पूजन की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि भगवान का स्मरण और पूजन का विचार मन में आना चाहिए। यही पूजन की प्रथम भूमिका है। भगवान की भक्ति करनी है तो सच्चे मन से करनी चाहिए। इधर-उधर नहीं भटकना चाहिए। इधर- उधर भटकने वाले भटकते ही रहते हैं, वह ना वो इधर के रहते हैं, ना उधर के रहते हैं। इस दौरान अनंत कुमार जैन, विशाल जैन, सौरभ जैन, राहुल जैन, तरुण जैन, आलोक जैन, अंकित जैन आदि भक्त मौजूद थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.