शिक्षा क्षेत्र में जिले की बनवाए पहचान, ऐसा हो सांसद
दैनिक जागरण के मेरा शहर- मेरा सांसद कार्यक्रम में शिक्षकों ने रखी राय शिक्षित होने से आएगी जागरूकता उच्च और मेडिकल शिक्षा का हो इंतजाम।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। शिक्षित होने से समस्याएं समाप्त होंगी तो जागरूकता आएगी। जिला आज भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा है, कभी प्रयास नहीं हुए। आज भी यहां के छात्रों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए दूसरे जिलों की ओर दौड़ लगानी पड़ती है। औद्योगिक विकास के अभाव में यहां के युवा पलायन करते हैं। कृषि आधारित उद्योग लगने से इस पर रोक लगेगी।
कुछ ऐसे सुझाव और अपेक्षाओं के साथ शिक्षकों ने दैनिक जागरण के मेरा शहर- मेरा सांसद कार्यक्रम में विचार रखे। बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शिक्षकों की ओर से शुरूआत करते हुए शिक्षक गोविद पांडेय ने कहा कि सांसद- विधायक अपनी सुविधाओं के लिए सारे राजनीतिक विरोध को भूल जाते हैं, मनमानी जरूरतों को पूरा करते हैं। शिक्षक सालों तक सेवा देने के बाद आज भी पुरानी पेंशन बहाली की मांग करता है, लेकिन उसकी नहीं सुनी जाती। किसी भी दल ने इसे अपने घोषणा- संकल्प पत्र में शामिल नहीं किया है।
शिक्षक प्रणवीर यादव ने कहा कि जिले में कैंसर सुरसा की तरह सालों से बढ़ रही है। राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में यहां कैंसर यूनिट चालू नहीं हो सकी। गरीब और मध्यम वर्ग के पीड़ित आज भी इलाज को मोहताज हैं। शिक्षक राजेश पांडेय ने जिला उच्च शिक्षा के अभाव की बात करते हुए कहा कि यहां बीटीसी-बीएड को जमकर मान्यता मिली, लेकिन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कोई प्रयास नहीं हुए। आज भी यहां के मध्यम वर्ग के छात्र दूसरे शहरों में जाते है, उनके अभिभावकों को बच्चों का सपना पूरा करने के लिए घर छोड़ना पड़ता है। कृषि कॉलेज और मेडिकल कॉलेज खोलने पर गौर नहीं दिया।
शिक्षक हरिकिशन ने मतदाताओं की उदासीनता पर तंज कसते हुए कहा कि सुविधाओं की बात करने वाले शिक्षित आज भी मतदान से कतराते हैं। जिला के विकास और औद्योगिक क्षेत्र में पिछड़ेपन की यह भी खास वजह है। शिक्षक नवीन सक्सेना ने किसानों की बदहाली को इंगित करते हुए कहा कि यहां आलू, लहसुन और गेहूं, धान भरपूर पैदा होता है, लेकिन किसानों की बेहतरी को कुछ नहीं होता। उसको उपज का डेढ़ गुना छोड़िए, वास्तविक मूल्य भी नहीं मिलता। औद्योगिक विकास के लिए भी यहां कुछ नहीं हुआ, केवल सड़कों पर ध्यान दिया गया।
शिक्षक कमल पांडेय सरकारी अस्पतालों से मरीजों को रेफर किए जाने की बात रखते हुए कहा कि भय की वजह से चिकित्सक कोई रिस्क नहीं लेता। सरकार को साक्षर करने के बजाय शिक्षित करने पर ध्यान देना चाहिए, जिससे चिकित्सक भी ऐसे समाज को बेहतर इलाज दे सकेगा। शिक्षक हरिकिशन ने कहा कि शिक्षक के आकस्मिक निधन के बाद उसके ग्रेजुएट पास पाल्य को शिक्षक के पद पर नियुक्त करना चाहिए। प्रशिक्षण कराकर उसे और योग्य करने का काम नियुक्त के बाद करना चाहिए।
राजीव यादव ने गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों की बात करते हुए कहा कि ऐसे परिवारों के यह बालक अर्थ के अभाव में गांवों से हर रोज शहर में राजकीय लाइब्रेरी आकर किताबों का अध्ययन करने आते हैं, सरकार को न्याय और पंचायत स्तर पर ऐसी लाइब्रेरी स्थापित करानी चाहिए, जिससे ऐसे परिवारों के छात्रों का भला हो सके। शिक्षक कमल पांडेय ने कहा कि तमाम परिवार एमडीएम की वजह से अपने बच्चों को बेसिक के स्कूलों में नहीं भेजते हैं, इसके लिए शिक्षक से यह काम हटाकर एनजीओ को देना चाहिए।