रजवाना के सरकारी स्कूल में अनुशासन का पाठ, अंकों की अंताक्षरी
मैनपुरी जासं। परिषदीय विद्यालय का नाम सुनते ही हमारे सामने जमीन पर बैठे बच्चे परिसर में फैली गंदगी का चित्र सामने आता है। लेकिन प्राथमिक विद्यालय रजवाना की सूरत इससे जुदा है। यहां न सिर्फ किताबों का ज्ञान कराया जाता है बल्कि संस्कारों की शिक्षा के साथ अनुशासन का पाठ भी बखूबी पढ़ाया जाता है।
जासं, मैनपुरी: परिषदीय विद्यालय का नाम सुनते ही हमारे सामने जमीन पर बैठे बच्चे, परिसर में फैली गंदगी की याद आ जाती है। लेकिन, प्राथमिक विद्यालय रजवाना की सूरत इससे जुदा है। यहां न सिर्फ किताबों का ज्ञान कराया जाता है, बल्कि संस्कारों की शिक्षा के साथ अनुशासन का पाठ भी बखूबी पढ़ाया जाता है। नित नए प्रयोगों के लिए पहचान बना चुके इस विद्यालय के बच्चे गैजेट्स से ज्ञान प्राप्त करते हैं। लगातार नए प्रयोगों से अपना लोहा मनवाने वाले विद्यालय को अब उसकी खूबियों के लिए राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। प्रधानाध्यापक इशरत अली का कहना है कि दो फरवरी को शासन द्वारा विद्यालय को पुरस्कार से नवाजा जाएगा। बच्चों को पढ़ाने के लिए वे अपने निजी लैपटॉप का प्रयोग करते हैं। बीएसए की मदद से लगवाए गए प्रोजेक्टर को लैपटाप से जोड़कर बच्चों को नई-नई जानकारियां दी जाती हैं।
ढोलक की थाप पर बजता है पहाड़ों का संगीत
यहां खेल-खेल में ही बच्चों को पढ़ाया जाता है। किताबी ज्ञान अनमन न लगे इसके लिए वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। ढोलक और तबले की थाप पर विद्यार्थी पहाडे़ और गिनती याद करते हैं। अंकों को संगीत में इस प्रकार ढाला गया है कि मानो कोई अंताक्षरी खेली जा रही हो।
ये है खासियत
विद्यालय की दीवारों को रंग-रोगन के माध्यम से ऐसा बनाया गया है, जिससे हर दीवार एक पाठ पढ़ा रही हो।
प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई के अलावा वाद्य यंत्रों की मदद से पहाडे़ और गिनती याद कराई जाती है।
हर क्लास की जिम्मेदारी मॉनीटर को दी गई है। लैपटॉप से देखकर मॉनीटर साथियों को पाठ पढ़ाते हैं।
ये रही उपलब्धियां: 2015 में विद्यालय को राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसमें शासन द्वारा 1.20 लाख रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई थी। इस धनराशि से फर्नीचर आदि की व्यवस्था कराई गई।
सामुदायिक सहयोग से चहारदीवारी का निर्माण करा विद्यालय का गेट बनवाया।
बागवां समिति का गठन जो विशेषकर पौधों की देखरेख के लिए ही कार्य कर रही है। इसमें बच्चों के साथ जागरूक अभिभावकों को भी शामिल किया गया है।
स्मार्ट क्लास संचालन के लिए राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ द्वारा लगातार दो बार राज्य स्तरीय आइसीटी प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर शिक्षण को बेहतर बनाने के तरीके समझाए।