धुंध की चादर में लिपटी रही सुबह, हर कोई अचरज में दिखा
आसमान और राहों पर दिखी सफेद चादर हर कोई दिखा अचरज में तीन घंटे तक बना रहा ऐसा मौसम दिन में उमस ने भी दिखाया जोर।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। मंगलवार सुबह लोग सोकर उठे तो आसमान और गलियों को धुंध की चादर में लिपटा देख अचरज में पड़ गए। कई घंटे तक शहर का परिदृश्य धुंध के साए में घिरा रहा। सड़कों पर भी वाहनों को लाइट का सहारा लेकर चलना पड़ा। धुंध को देखकर हर कोई प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराने में लगा रहा। धुंध हटने के बाद कई बार बादल भी छाए, लेकिन बिन बरसे दिन गुजर गया। उमस से भी नागरिक परेशान रहे।
मंगलवार को शहर और आसपास धुंध देखकर मॉर्निग वॉक को निकले लोग हैरान रह गए। घनी धुंध की वजह से 50 मीटर दूर का परिदृश्य साफ नजर नहीं आ रहा था। जैसे-जैसे नागरिक आगे बढ़े तो धुंध की चादर दूर होती दिखी। धुंध का असर शहर के अलावा कस्बों के आसपास भी दिखा तो हर कोई ऐसे माहौल को देखकर परेशान होने लगे। कोई इसे कोहरा बता रहा था तो कोई इसे प्रदूषण की वजह बता रहा था। ऐसा माहौल कई घंटे तक बना रहा।
किसान घनश्याम सिंह ने बताया कि मंगलवार सुबह मौसम अजीब दिखा। ऐसे मौसम से सांस लेने में कुछ दिक्कत भी महसूस होती रही। खेतों के आसपास तो यह कुछ ज्यादा ही नजर आई। इसकी वजह से सूरज भी दस बजे तक सामने नहीं आ सके। ऐसा मौसम फसलों के लिए खराब ही साबित होगा। धुंध का कारण उन्होंने प्रदूषण को बताया। उनका कहना था कि तमाम जागरूकता के बाद भी कूड़ा-कचरा और अवशेष जलाए जा रहे हैं। धुंध में चलने के दौरान उनको खुशबू भी महसूस होती रही। नमी है धुंध की वजह
राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य और रसायन विषय के प्रवक्ता सुरेश चंद राजपूत ने धुंध की वजह नमी और प्रदूषण बताया। उन्होंने कहा कि आसमान में प्रदूषण विद्यमान हो गया है। बीते दिनों की बारिश के कारण नमी हो गई तो दो दिन की धूप से यह नमी वाष्प बनकर आसमान में उठी। प्रदूषण और वाष्प की वजह से धुंध बन गई। यह ज्यादा प्रदूषण होने से होता है। उमस ने सताया
मंगलवार को सुबह से शाम तक उमस का हाल बना रहा। दस बजे के बाद धुंध छटीं तो उमस हो गई। कई बार बादल भी आसमान पर छाए, लेकिन बरसे नहीं। शाम को हवा चलने से राहत मिली। नहीं है प्रदूषण मापने का कोई इंतजाम
जिले में वायू प्रदूषण को मापने का कोई इंतजाम नहीं है। न तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कोई सेंटर है और न ही उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का। ऐसे में प्रदूषण की स्थिति की जानकारी नहीं हो पाती।