बुखार का कहर, पांच माह के मासूम की मौत
कई दिनों से दिमागी बुखार से पीड़ित था बालक, तापमान कम होने के बाद भी कम न हुआ प्रकोप।
मैनपुरी : बुखार का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कई दिनों से दिमागी बुखार से पीड़ित बालक की अस्पताल में मौत हो गई। इमरजेंसी में पर्याप्त सुविधा न होने के कारण रोजाना आधा दर्जन से ज्यादा को सैफई के लिए रेफर करना पड़ रहा है।
मौसम ने भले ही करवट ली हो लेकिन बुखार का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। रोजाना अस्पताल की ओपीडी में चार से पांच सैकड़ा मरीज बुखार के पहुंच रहे हैं। सोमवार को कस्बा करहल निवासी गुल्लू के पांच माह के पुत्र अर्पित को कई दिनों से बुखार आ रहा था। परिजन निजी चिकित्सक से उपचार करा रहे थे। हालत बिगड़ने पर सुबह लगभग नौ बजे जिला अस्पताल की इमरजेंसी लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने बालक को मृत घोषित कर दिया। मरीजों की तादात बढ़ने के बावजूद इमरजेंसी में उचित इंतजाम नहीं कराए जा रहे हैं। सुविधाओं के अभाव में हालत बिगड़ती देख अधिकांश मरीजों को सैफई के लिए रेफर करना पड़ता है। बढ़ रही रहीं त्वचा की बीमारियां: अस्पताल में त्वचा संबंधी मरीजों की संख्या में भी इजाफा होता जा रहा है। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरांग गुप्ता का कहना है कि सबसे ज्यादा मरीज खाज और खुजली के आ रहे हैं। इनमें अधिकांशत: बच्चे और बुजुर्ग हैं। इस मौसम में खुशकी बढ़ जाती है। जिसकी वजह से त्वचा अपनी नमी खोने लगती है। ऐसे में त्वचा पर पडे़ रैसेज में अचानक खुजली होने लगती है। अनदेखा करने पर वह घाव में तब्दील हो जाती है। जो बाद में धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाती है। बेहतर है कि धूल और गंदगी से शरीर को सुरक्षित रखा जाए और समस्या होने पर तुरंत चिकित्सकों से सलाह लें।