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संविद कर्मी कर्मियों की हड़ताल से चरमराईं स्वास्थ्य सेवाएं

समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर चल रही संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल लगातार तीसरे दिन भी जारी रही। स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर कर्मचारियों ने सीएमओ कार्यालय परिसर में धरना दिया। हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 10:21 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 10:21 PM (IST)
संविद कर्मी कर्मियों की हड़ताल से चरमराईं स्वास्थ्य सेवाएं
संविद कर्मी कर्मियों की हड़ताल से चरमराईं स्वास्थ्य सेवाएं

मैनपुरी (जागरण संवाददाता) । समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर चल रही संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल लगातार तीसरे दिन भी जारी रही। स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर कर्मचारियों ने सीएमओ कार्यालय परिसर में धरना दिया। हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर भी व्यापक असर पड़ा। हालांकि आंदोलन में महिला कर्मचारी, पुरुषों से ज्यादा सक्रिय दिखीं।

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आह्वान पर धरना पर बैठे संविदा कर्मियों ने बुधवार को भी नारेबाजी की। प्रदेश मंत्री संजय पंकज शर्मा ने कहा कि कई वर्षों से हम समान काम के बदले समान वेतन की मांग उठा रहे हैं। हर बार झूठा आश्वासन दिया जाता है। आज तक मांग पूरी नहीं हुई। संविदा कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। दोगुना काम लेकर अधिकारी शोषण करते हैं, लेकिन जब-जब वेतन की बात आती है तो कार्रवाई का भय दिखाने लगते हैं। अब कोई भी कर्मचारी भयभीत होने वाला नहीं है। अगर, सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानीं तो अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी।

बुधवार को धरना-प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों के बीच ही एकराय नहीं दिखी। पुरुष कर्मचारी धरना स्थल को छोड़कर इधर-उधर घूमते रहे। स्थिति यह रही कि महिला कर्मियों ने मंच संभाल पुरुष कर्मचारियों से सहयोग करने की अपील तक कर डाली। इस पर भी ज्यादातर कर्मचारी खुद को बचाते दिखे। हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर पड़ा। आयुष चिकित्सालय समेत सीएचसी और पीएचसी में भी मरीज भटकते रहे। डर है, कहीं अधिकारियों की नजर में न आ जाएं

एनएचएम के आह्वान पर हड़ताल में शामिल ज्यादातर संविदा चिकित्सक और कर्मचारी अधिकारियों से मिलकर अपने निजी काम भी संचालित कर रहे हैं। अधिकांश ने विभाग में अपना किसी न किसी प्रकार से इन्वेस्ट कर रखा है। ऐसे में अब आंदोलन के दौरान वे कर्मचारी अधिकारियों की नजरों में आने से बच रहे हैं। सांठ-गांठ का खेल न बिगड़े इसके लिए धरना में उपस्थिति दर्ज करा बहानों की आड़ में पूरा दिन धरना स्थल से गायब रह रहे हैं।


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