दलीय गढ़ों में कहीं दौड़ा तो कहीं थमा रहा मतदान
मैनपुरी जासं। लोकसभा चुनाव में इस बार पहले जैसी सरगर्मी भले ही नजर न आई लेकिन राजनैतिक दलों के परंपरागत मतदाताओं ने इस बार भी अपने पुराने रिवाज को निभाया। अलग-अलग क्षेत्रों में मतदाताओं का बदला मिजाज अब 23 मई को पता चलेगा। कहीं राष्ट्रवाद तो कहीं विकास के नाम पर वोटों की बरसात हुई।
हिमांशू यादव, मैनपुरी: लोकसभा चुनाव में इस बार पहले जैसी सरगर्मी भले ही नजर न आई हो, लेकिन राजनैतिक दलों के परंपरागत मतदाताओं ने इस बार भी अपने पुराने रिवाज को निभाया। अलग-अलग क्षेत्रों में मतदाताओं का बदला मिजाज अब 23 मई को पता चलेगा। कहीं राष्ट्रवाद तो कहीं विकास के नाम पर वोटों की बरसात हुई।
मंगलवार को लोकतंत्र के उत्सव में सहभागिता के लिए मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। मतदान शुरू होते ही यादव बाहुल्य औंछा क्षेत्र के बन्नदल इलाके के बूथों पर मतदाताओं की लंबी कतारें थीं। इन मतदाताओं का मिजाज परंपरागत नजर आया, जबकि भोगांव क्षेत्र के लोध और शाक्य बाहुल्य इलाकों में दोपहर तक मतदान के लिए बूथों पर लंबी कतारें नहीं थीं। लेकिन, शाम होते ही यहां भी लाइनें लग गई। क्षत्रिय बाहुल्य चौघरा क्षेत्र के जासमई के अधिकांश बूथों पर मतदाताओं की चुप्पी और उनका बदला मिजाज चुनाव नतीजे को लेकर राजनैतिक विश्लेषकों की उलझनें बढ़ाएगा। किशनी क्षेत्र में यादव बाहुल्य बूथों पर तेज गति से हुए मतदान से साइकिल की रफ्तार बढ़ती नजर आई। भोगांव नगर के मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर महिलाओं की कतारें पूरी दिन लगी रहीं। बसपा समर्थक माने जाने वाले बेवर क्षेत्र के गांव शीलवंत में भी इस बार मतदाताओं ने अपनी पुरानी परंपरा को निभाने के संकेत दिए। जबकि मैनपुरी सदर विधानसभा के शहरी बूथों पर भी मतदान को लेकर मतदाताओं का कम उत्साह एक बार फिर राजनैतिक समीकरणों को प्रभावित करेगा। ज्यादातर गांवों में बूथों के बाहर जमा समर्थकों की भीड़ अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में तर्क देकर जीत का समीकरण बनाते नजर आए। भाजपा और सपा के रणनीतिकारों ने अब अपने वॉर रूम से क्षेत्रवार मतदान का प्रतिशत जुटाने के लिए बूथ अध्यक्षों को जिम्मा दिया है।