ईशन नदी संवारने के लिए जुटे सैकड़ों हाथ, घंटों की सफाई
मैनपुरी जासं जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह के निर्देशन में शहर की जीवनदायिनी नदी के जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है उनके आह्वान पर शहर के तमाम लोग किसी न किसी रूप में नदी की सफाई में अपना सहयोग दे रहे हैं कुछ लोगों द्वारा आर्थिक मदद की जा रही है तो वहीं कुछ व्यक्तियों के द्वारा सफाई में श्रमदान किया जा रहा है।
जासं, मैनपुरी: प्राचीन ईशन नदी को संवारने का काम तेजी पकड़ने लगा है। प्रशासन के आह्वान पर सामाजिक और राजनीतिक संगठन नदी के सुंदरीकरण को जुटने लगे हैं। रविवार को भाजपा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने घंटों नदी को संवारने का काम किया और जलकुंभी निकाली।
डीएम महेंद्र बहादुर सिंह के आह्वान पर रविवार को भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रदीप चौहान ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ देवी रोड ईशन नदी पर पुल के समीप नदी की सफाई कार्य कर श्रमदान किया। इस अवसर पर एसडीएम सदर रजनीकांत, शिवदत्त भदौरिया, राहुल राठौर, अमित गुप्ता, करन पाल सिंह चौहान, एस.के. दुबे, शिव प्रताप सिंह, अमित सिंह चौहान, शिव अवतार बाल्मीक, भोला चौहान, भरत दुबे, हरिओम दुबे, भोले बाल्मीकि, दीप प्रकाश, राहुल जैन, अवनीश अग्निहोत्री, गोल्डी चौहान, राजीव मिश्रा, सृजन चौहान, केशव राजपूत, शैलू, सुरेश चंद सहित अन्य पदाधिकारी आदि उपस्थित रहे।
जल्द आएगा नदी में पानी
डीएम ने बताया कि नदी की सफाई का कार्य अंतिम चरण में है, पानी भी शहर की ओर तेजी से आ रहा है। शहर में पानी आने से नदी के आसपास के क्षेत्र में रौनक होगी, शुद्ध वातावरण मिलेगा। आसपास हरियाली होगी और भूमि का जल स्तर सुधरेगा, पानी की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
2003 में आई अंतिम बार बाढ़-
जासं, मैनपुरी: ईशन नदी में अंतिम बार 2003 में बाढ़ आई थी। इससे पूर्व भी दो बार बाढ़ आई थी, शहर में जलप्लावन के हालात हो गए थे। उस दौरान नदी में पानी भरपूर तादात में उपलब्ध रहता था।
कुछ ऐसी बातें रविवार को डीएम महेंद्र बहादुर के साथ कलक्ट्रेट सभागार में ईशन नदी पर चर्चा करते हुए गणमान्य नागरिकों ने बताईं। नागरिकों ने बताया कि 80 के दशक तक ईशन नदी में पूरे वर्ष पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध रहता था। नदी का पानी ही कुछ घरों में खाने-पीने मे प्रयोग किया जाता था, वर्ष 1961, 1982 एवं 2003 में ईसन नदी में बाढ़ आई थी। वर्ष 1961, 1982 में सबसे भयंकर बाढ़ थी, शहर में चारों ओर जल प्लावन था, कई दिन तक लोग घरों में रहने को मजबूर थे। बाद में अतिक्रमण से नदी गंदा नाला बन गई। परिचर्चा में उपस्थित श्रीकृष्ण मिश्र एड., डॉ. सी.पी. गोयल, घनश्याम दास गुप्ता आदि ने जानकारी दी। इस अवसर पर एसडीएम सदर, करहल, किशनी, घिरोर, कुरावली, रजनीकांत, रतन वर्मा, राम सकल मौर्य, अनिल कटियार, अनूप कुमार, समस्त तहसीलदार, अधिशासी अधिकारी नगर निकाय, अजय सागर, एस. साराभाई उपस्थित रहे।