स्कूली बच्चों को संस्कार की शिक्षा, एटीएम से अक्षर ज्ञान
अतिथियों का होता है अंग्रेजी में स्वागत नवाचार बना पाठशाला की पहचान किताबों से ज्यादा प्रायोगिक ज्ञान पर जोर पर्यावरण संरक्षण पर देते हैं खास ध्यान।
मैनपुरी, श्रवण कुमार शर्मा। राष्ट्रीय ध्वज के रंगों से सजा प्रवेश द्वार। खजूर के पेड़ पर तिनका-तिनका लाकर घरौंदा तैयार करते पक्षी। स्कूल परिसर में बनी क्यारियों में खिलते 17 प्रजातियों के फूल। पेड़ों की सुरक्षा के लिए निराई करतीं प्रधानाध्यापिका और काम में सहयोग करते विद्यार्थी।
कुछ ऐसा ही खुशनुमा माहौल था बेसिक शिक्षा विभाग की महुअन पाठशाला में। शहर से चार किमी दूर गांव महुअन से पहले यह पाठशाला स्थित है। शनिवार सुबह प्रार्थना के बाद पढ़ाने से पहले सरस्वती के मंदिर को सजाने का काम होता है। प्रधानाध्यापिका किरण शाक्य ने बताया कि सभी शिक्षक और विद्यार्थी पाठशाला में सफाई करते हैं। सफाईकर्मी आता नहीं है। बगिया सहेजने में ग्रामीण भी सहयोग करते हैं। वर्तमान सत्र में 44 नए प्रवेश भी हुए हैं।
- छोटे भवन में बड़े इरादे:
दो कमरे और एक बरामदा में संचालित पाठशाला में प्रवेश करते ही विद्यार्थी खड़े होकर अंग्रेजी में स्वागत करते हैं। शिक्षा का स्तर भी किसी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल के समान ही है। बरामदा के अलावा कमरों की दीवारें भी स्लोगन और मैरी कॉम, अरुणिमा सिन्हा, कल्पना चावला के चित्रों से सजी हैं। विद्यार्थियों को उनके बारे में समूची जानकारी भी है। छतों से लटके फल और दिनों के हिदी-अंग्रेजी अक्षर यहां हो रहे प्रयासों को दर्शाते हैं।
- इल्ली आई-इल्ली आई, अक्षरों की झिल्ली लाई:
प्रधानाध्यापिका किरन शाक्य और सहायक शिक्षिका शालिनी वर्मा, शिक्षा मित्र मेघ सिंह विद्यार्थियों की प्रतिभा को निखारने के लिए नित नए प्रयास करते हैं। दो दिन पहले ही नवाचार का एक और तरीका खोजा है। एक खिलौना बनाया है। इसे विद्यार्थी इल्ली कहते हैं। इल्ली आई-इल्ली आई- अक्षरों की झिल्ली लाई के साथ इसमें से छोटी सी लकड़ी पर सजे शब्द निकाले जाते हैं। जो अक्षर निकलता है विद्यार्थी उनकी जानकारी देते हैं।
- अक्षरों का एटीएम:
पाठशाला में विद्यार्थियों को किताबों की अपेक्षा प्रायोगिक शिक्षा के माध्यम से पढ़ाया जाता है। बेस्ट शिक्षिका अवार्ड से सम्मानित प्रधानाध्यापिका ने शब्द निकालने वाला एटीएम बनाया है। शिक्षिका शब्द डालती हैं, विद्यार्थी निकालकर अर्थ बताता है। सही जानकारी पर एटीएम से टॉफी भी मिलती है।
- समस्याएं भी हैं पाठशाला में-
पाठशाला में फिटिग तो हैं, लेकिन विद्युत कनेक्शन नहीं है। उमस और गर्मी में विद्यार्थी और शिक्षक परेशान रहते हैं। शौचालय का दरवाजा टूटा होने से सभी असहज महसूस करते हैं। - जनसहयोग नवाचार:
प्रधानाध्यापिका किरन शाक्य पाठशाला को अव्वल बनाने के लिए जनसहयोग नवाचार का भी सहारा लेती हैं। इसमें गांव के युवक पाठशाला में सहयोग करते हैं। सचिन ने गुलाब के पेड़ लगाए हैं तो उमेश दवा का छिड़काव करते हैं। रमाकांत पाठशाला नहीं आने वाले बच्चों को समझाते हैं। बाल संसद का भी गठन किया गया है। पुराने छात्रों को बुलाकर कार्यक्रम किए जाते हैं।