सूखे स्त्रोत, बढ़ीं पानी की जरूरतें
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : 'मत करो मुझको बर्बाद, इतना तो तुम रखो याद। प्यासे ही तुम रह जाओ
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : 'मत करो मुझको बर्बाद, इतना तो तुम रखो याद। प्यासे ही तुम रह जाओगे, मेरे बिना न जी पाओगे।' पानी की ये व्यथा यहां के हालात पर मौजूं है। अधाधुंध दोहन के कारण धरती की कोख खाली होती जा रही है। लगातार जलस्तर घट रहा है। जो तालाब और पोखर पानी से लबालब रहते थे, आज वह बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। पानी का संकट जिले में दिनों-दिन गहराता जा रहा है। जलस्तर छह से 30 मीटर तक पहुंच गया है। ये भविष्य में पानी के भीषण संकट के साफ संकेत हैं।
बरनाहल ब्लॉक की भयावह होती जा रही है। पानी की बर्बादी ने धरती का आंचल पहले ही सुखा दिया है। यहां 17 साल से ब्लॉक डार्क जोन में है। नदियों की हलक सूखी है, तो तालाब खुद पानी मांग रहे हैं। ये हालात यूं ही नहीं बने, कई बार चेताने के बाद भी पानी को लेकर लोग सचेत नहीं हुए और सबसे खराब स्थिति में बरनाहल ब्लॉक पहुंच गया। यहां भूजलस्तर तीस मीटर तक पहुंच गया है। बूंद-बूंद पानी को ग्रामीण तरस रहे हैं। वर्ष 2001 से 2011 तक जिले की जनसंख्या करीब पौने तीन लाख बढ़ गई। इस दौरान पानी के संसाधन भी बढ़ाए गए, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।
45 सौ से अधिक तालाब, 80 फीसद सूखे
पूरे जिले में 45 सौ से अधिक तालाब हैं, लेकिन इनमें 80 फीसद तालाब की हलक सूख गई है। नदियों में भी पानी न के बराबर है। नदियों के पानी से ग्रामीण फसलों की ¨सचाई करते हैं, लेकिन पानी न होने के कारण ¨सचाई नहीं हो पा रही है।
जिले की आबादी
वर्ष 2001 1596718
वर्ष 2011 1868529
बिन बरसे ही गुजर गया मानसून
मानसून में धरती से जैसे रूठ गया है। काले घने बदरा बिन बरसे ही गुजर जाते हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल-दर-साल बारिश कम हो रही है। बारिश न होने से केवल फसलें ही प्रभावित नहीं हो रहीं, भूजलस्तर गिरने का भी ये बड़ा कारण बारिश न होना है। सुल्तानगंज विकास खंड ही अकेला ऐसा ब्लॉक है, जहां पर पानी का स्तर दस मीटर तक है। बीते वर्ष पानी कम होने से तीन मीटर स्तर बढ़ा है। पहले भूजलस्तर 7 मीटर ही था।
बारिश आंकड़ों में
वर्ष औसत बारिश (मिमी)
2015 90.13
2016 252.75
2017 112.70
ट्यूबवेल से मिलता पीने का पानी
संवाद सूत्र, बरनाहल: विकास खंड बरनाहल के गांव भदौलपुर की स्थिति बेहद खराब है। इस गांव में ग्रामीण की हलक तर करने को आठ इंडिया मार्का हैंडपंप लगाए गए हैं, लेकिन इनमें पांच हैंडपंप खराब हैं। 500 की आबादी वाले इस गांव में पानी की टंकी है जो दस साल से खराब है। डार्कजोन में चल रहे इस ब्लॉक में पानी की किल्लत कैसी है, ये भदौलपुर की स्थिति देख अंदाजा लगाया जा सकता है। ग्रामीण रोज सुबह डिब्बे लेकर खेतों में लगे ट्यूबवेल पर पीने को पानी भरते हैं। सुबह और शाम घर की महिलाओं की ड्यूटी ही ट्यूबवेल पर पानी भरने की है। फिर उस पानी को किसी न किसी साधन से घर तक पहुंचाया जाता है।
गांव में रहने वाले रामभरोसे बताते हैं कि परिवार के एक सदस्य की ड्यूटी रोड पानी भरने में ही लगाई जाती है। वह बताते हैं कि 12 साल पहले यहां टंकी बनी थी। दस साल से ये टंकी भी खराब है। ऐसे में पानी का सहारा केवल ट्यूबवेल ही है।
इसी गांव में रहने वाली कौशल्या कहती हैं कि पीने का पानी नहीं मिल पाता। घरों में लगे हैंडपंप काम नहीं करते हैं। सरकारी हैंडपंप भी खराब हैं। ऐसे में ट्यूबवेल से पैसा खर्च कर पानी लेना पड़ता है। कमाई का एक बड़ा हिस्सा पानी खरीदने में ही चला जाता है।
अधिकारी कहिन
बरनाहल अभी भी डार्कजोन में है। हमें भविष्य बेहतर बनाने के लिए पानी की बर्बादी रोकनी होगी। कई ब्लॉकों की स्थिति ¨चताजनक हो जाएगी। हर व्यक्ति को पानी बचाने के लिए पहल करनी होगी।
ओमवीर दीक्षित, अधिशाषी अभियंता, जलनिगम।