माफिया के दिलों में भर दिया खौफ
एसपी अजय शंकर राय की दिलेरी से शराब माफिया के चंगुल से निकला जिला, राजनीतिक दवाब में भी न झुके, माफिया की 14 करोड़ की संपत्ति भी कराई जब्त।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। डेढ़ दशक से शराब माफियाओं के चंगुल में फंसे जिले के हालात पिछले आठ माह में बदले हैं। अब शराब माफिया का राज खत्म होने के कगार पर है। इसका श्रेय जिले के पुलिस कप्तान अजय शंकर राय को जाता है। एक मई 2018 को जिले का कार्यभार संभालने के बाद उन्हें जिले में सक्रिय शराब माफियाओं के बारे में जानकारी मिलने लगी थी। ये भी पता चला था कि पिछले एक दशक से इन माफियाओं पर कोई भी अधिकारी शिकंजा कसने का साहस नहीं जुटा पाया है। पुलिस अधीक्षक ने माफिया को ठिकाने लगाने की योजना बनाई। जिले को समझते ही उन्होंने अपनी योजना को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया। माफियाओं पर शिकंजा कसा गया। पहले तो लोगों को यकीन नहीं हुआ, लेकिन एक-एक कर बड़े माफियाओं का माल पकड़ा जाने लगा तो लोगों को लगा कि अब माफिया अपना धंधा समेट लेंगे। 1125 धंधेखोर हुए गिरफ्तार: एसपी अजय शंकर राय के कार्यभार ग्रहण करने के बाद पिछले आठ माह में पुलिस ने 1125 शराब धंधेखोरों को गिरफ्तार किया है। इनमें बड़े माफिया व उनके गुर्गे शामिल हैं। 628 मामले दर्ज किए गए। 1.09 करोड़ कीमत की गैर प्रांतों से तस्करी कर लाई गई शराब को कब्जे में लिया गया। 90 वाहन पुलिस ने कब्जे में लिए, जिनको जब्त करने की कार्रवाई चल रही है। 14 करोड़ की संपत्तियां हुईं जब्त: शराब माफियाओं के खिलाफ पुलिस अधीक्षक ने अलग-अलग थानों में गैंगेस्टर एक्ट के 11 मामले दर्ज किए गए। इन सभी में बड़े माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई हुई। चार माफियाओं की संपत्तियों की जांच हुईं तो 14 करोड़ की संपत्तियां शराब तस्करी से कमाए जाने की पुष्टि हुई। जिन्हें कार्रवाई कर जब्त किया गया। 58 इनामियों की हुई गिरफ्तारी: एसपी ने पुराने फरार बंदियों के बारे में जानकारी की तो पता चला कि 15 साल पहले तक दर्ज हुए मामलों में वांछित अपराधी फरार चल रहे हैं। इन पर शिकंजा कसने के लिए इनाम की घोषणा की गई है। आठ माह में ढाई हजार के सात, पांच हजार के 17, 10 हजार के नौ, 15 हजार के 15 व 25 हजार के 10 इनामी गिरफ्तार किए। गश्त पर खुद निकलते हैं एसपी: पुलिस अधीक्षक हर रात खुद गश्त पर निकलते हैं। रात दो से तीन बजे तक गश्त के लिए भेजे गए पुलिस कर्मियों की जांच करते हैं। अलग-अलग थानों का निरीक्षण करते हैं। थानों में लंबित विवेचनाओं, वांछितों, वारंटियों आदि की समीक्षा करते हैं। गश्त पर निकले सिपाहियों व उपनिरीक्षकों, होमगार्ड जवानों से सीधा संवाद करते हैं। इस बर्ताव के चलते पुलिसकर्मी अपने आपको पुलिस अधीक्षक के करीब पाते हैं। यातायात को बढ़ाई सतर्कता: यातायात संबंधी अपराधों को लेकर भी पुलिस अधीक्षक गंभीर दिखे। आठ माह में 3675 वाहनों का चालान हुआ। 87 लाख रुपये शमन शुल्क के रूप में वसूल किए गए। 299 अवैध असलहाधारी, 37 अपराधी नशीले पदार्थों के साथ पकड़े गए। लूट, चोरी, छेड़खानी, छिनैती की वारदातों में भी पिछले वर्ष की तुलना में काफी कमी आई।