जिला चिकित्सालय में नहीं हैं बाल रोग विशेषज्ञ, कौन करे उपचार
अस्पताल प्रशासन ने यूपीएचएसएसपी से मांगे विशेषज्ञ, सामान्य एमबीबीएस के बूते दिलाया जा रहा उपचार।
मैनपुरी : जिला चिकित्सालय में बच्चों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है। दो वर्षों से एक भी बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती न किए जाने के कारण सामान्य एमबीबीएस के बूते ही इलाज चल रहा है। अब अस्पताल प्रशासन ने शासन को पत्र भेजकर दो विशेषज्ञ उपलब्ध कराने की मांग की है।
जिला अस्पताल में वर्ष 2016 से बाल रोग विशेषज्ञ का पद खाली है। बीमार बच्चों को प्राथमिक उपचार मिल सके, इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने अस्थाई तौर पर एमबीबीएस चिकित्सक डॉ. गौरव दुबे को जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन वह रोजाना सैकड़ों की संख्या में आने वाले बीमार बच्चों को उपचार देने में असमर्थ हैं। उनकी अनुपस्थिति में तो स्थिति गंभीर हो जाती है। बच्चों के उपचार के लिए परिजनों को निजी चिकित्सकों से महंगा उपचार कराना पड़ता है।
परेशानी को देखते हुए अब अस्पताल प्रशासन ने शासन से चिकित्सकों की मांग की गई है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके सागर का कहना है कि यूपीएचएसएसपी (उत्तर प्रदेश हेल्थ सिस्टम स्ट्रेन्थ¨नग प्रोजेक्ट) के निदेशक को पत्र लिखकर दो बाल रोग विशेषज्ञ उपलब्ध कराए जाने की मांग की गई है। 100 शैया ¨वग में भर्ती नहीं हो रहे बच्चे: महिला अस्पताल परिसर में 100 शैया मातृ एवं शिशु सुरक्षा ¨वग का निर्माण कराया गया है। यहां बतौर बाल रोग विशेषज्ञ दो चिकित्सकों की तैनाती है, लेकिन सिर्फ बच्चों को उपचार देने का काम ही किया जा रहा है। सीएमएस डॉ. आरके सागर का कहना है कि गंभीर स्थिति में बच्चों को जिला अस्पताल भेज दिया जाता है। जबकि वहां मौजूद बाल रोग विशेषज्ञ वहीं उन्हें उपचार दे सकते हैं। यदि ¨वग में ही बच्चों को भर्ती करने के प्रबंध करा दिए जाएं तो मरीजों को भटकना न पडे़।