तबाही बचा कहकशां ने दिया सलामती का इफ्तार
मुकेश गुप्ता, कुरावली : ़11 साल की कहकशां ने एक हादसा टाल दिया। आग लगे सिलिंडर को बाहर फेंक दि या। इसके बाद रोजा खेला।
मुकेश गुप्ता, कुरावली : कहकशां की उम्र महज 13 साल ही है। उसने तालीम नहीं ली, बल्कि मां के साथ मजदूरी करती है। लेकिन इस बेटी की सूझबूझ ने न केवल अपने परिवार को बड़े हादसे से बचाया बल्कि मुहल्ले के लोगों की भी ¨जदगी बचाई। घर में गैस सिलेंडर जल रहा था, लेकिन वह घबराई नहीं। एक हाथ से सिलेंडर उठाया और उसे पहली मंजिल से नीचे फेंक दिया। बिटिया की सूझबूझ ने कइयों की ¨जदगी बचा ली। कुरावली कस्बे के मुहल्ला सराय बैदनटोला में रहने वाली मेहरुनिशां के पति का इंतकाल 15 साल पहले हो चुका है। वह 20 वर्षीय बेटे शहनवाज, 15 वर्षीय हसनैन और चार बेटियों के साथ रहती हैं। तीन बेटियों का निकाह हो चुका है। बाकी बच्चे मां के साथ लहसुन मंडी में मजदूरी करते हैं। बुधवार को मेहरुनिशां और उनकी बेटी कहकशां ने रोजा रखा था। शाम के करीब छह बज रहे थे। मां-बेटी रोजा खोलने के लिए मकान की ऊपरी मंजिल पर पकवान बनाने की तैयारी कर रही थीं। तभी गैस सिलिंडर का पाइप लीक कर गया। देखते ही देखते पाइप ने आग पकड़ ली। उस वक्त दोनों किचन में थीं। आग की लपटें देखीं तो मां-बेटी की चीख निकल गई। मां अपनी बेटी को लेकर किचन से भागीं और उसे सीने से चिपका लिया। लेकिन फिर कहकशां ने सूझबूझ दिखाई। घर में तुरंत ही एक बोरा ढूंढा, उसे पूरी तरह पानी में भिगोया। बेटी बोरा भिगो रही थी और मां उसकी अक्ल को लेकर मन ही मन सोच रही। फिर बिना डरे कहकशां सिलिंडर के पास पहुंची और बोरा सिलिंडर पर डाल दिया। आग की लपटें तेज थीं इसलिए बुझ नहीं पा रही थीं। फिर वजनी सिलिंडर को कहकशां खींचकर छज्जे पर लाई। नीचे गली में देखा, तो कुछ लोग निकल रहे थे। कहकशां ने आवाज लगाकर उन्हें रोक दिया। जब तक कुछ समझ पाते, जलता हुआ सिलिंडर बोरे के साथ उसने नीचे फेंक दिया। सिलेंडर को जलता देखा तो गली में भगदड़ मच गई। लोग जान बचाकर इधर-उधर भागने लगे। सभासद ने दी एजेंसी को सूचना
जिस वक्त सिलिंडर नीचे गिरा, गली के दोनों ओर काफी लोग थे। सिलिंडर से आग की लपटें तेज उठ रही थीं, इसलिए किसी की हिम्मत पास जाने की नहीं हुई। मौके पर पहुंचे सभासद अजमेरी फारुकी ने गैस एजेंसी को सूचना दी। करीब बीस मिनट में गैस एजेंसी से कर्मचारी दौड़े आए और अग्निशमन सिस्टम से आग पर काबू पाया। कर्मचारियों ने बताया कि सिलिंडर में विस्फोट होता तो कहकशां का मकान तो उड़ता ही, आसपास के मकान भी क्षतिग्रस्त होते। लेकिन बेटी की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया।
तैरती रही दहशत, आधा मुहल्ला खाली
कहकशां ने हिम्मत का परिचय देकर जलता सिलेंडर घर से नीचे फेंक दिया। गैस एजेंसी के कर्मचारियों को मौके पर पहुंचने में करीब बीस मिनट में गैस एजेंसी के कर्मचारी पहुंचे और उन्हें भी आग बुझाने में करीब दस मिनट लग गए। करीब आधा घंटे तक मुहल्ले में दहशत तैरती रही। लोग अपने घरों से निकल आए और विस्फोट की आशंका से चेहरे की हवाइयां उड़ती रहीं। कहकशां के घर से दो मकान बाद रहने वाले कल्लू खां कहते हैं कि डर के कारण आसपास के घर खाली हो गए। लोग घरों से बाहर निकल आए। मुहल्ले की आबादी काफी घनी है, विस्फोट होता तो बड़ी जनहानि हो सकती थी। इसी मुहल्ले में रहने वाले शाहिद हुसैन का कहना है कि जिस वक्त हादसा हुआ, उस वक्त मुहल्ले के ज्यादातर घरों में रोजा खोलने की तैयारी चल रही थी। महिलाएं पकवान बना रही थीं, तभी अचानक हादसा हुआ, इससे लोग डर के कारण घर से बाहर आ गए। जब सिलेंडर की आग बुझ गई, तब घरों में पकवान बनाकर रोजा खोला गया।
टीवी पर देखा तो तरीका
कहकशां कहती हैं कि अक्सर टीवी में सिलिंडर में आग से बचाव के तरीके बताते हैं। ये तरीका उसने कई बार टीवी पर देखा था। इसलिए जैसे ही सिलिंडर में आग लगी, उसे टीवी में बताए गए पानी से भीगे बोरे की याद आई और उसने बोरा भिगोकर सिलेंडर को ढक दिया। आग पर फिर भी काबू पूरी तरह नहीं मिला तो उसने सिलिंडर नीचे फेंक दिया।